12 April 2019
जानकारी अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 30 मई से पहले राजनीति के प्र्त्येक दल को बंद लिफाफे में मिलने वाले चंदे की जानकारी अब देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश के अनुसार सभी पार्टियां द्वारा चुनाव आयोग को सीलबंद लिफाफे में इलेक्टोरल बांड से मिलने वाले चंदे की पूरी जानकारी जैसे दानदाता का नाम , एकाउंट की जानकारी तथा चंदे में मिलंने वाली रकम का ब्यौरा भी देना होगा । इस के साथ ही इसकी पूरी जानकारी देने की अंतरिम तिथि 30 मई से पहले की दी गई है।आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था के खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक दलों को चंदे की इस व्यवस्था से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। साथ भी बॉन्ड खरीदने वाले का नाम गुप्त रखने की व्यवस्था की आड़ में बड़े पैमाने पर सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?
राजनीतिक दल को चंदा देने का इलेक्टोरल बॉन्ड एक माध्यम है, जो कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के द्वारा जारी किया जाता है जिसे कोई भी संस्था या भारतीय नागरिक खरीद सकते हैं। इस माध्यम से राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे पर ब्याज नहीं लगता है। वैसे इलेक्टोरल बॉन्ड लाने के पीछे यह तर्क दिया गया है कि इस माध्यम से राजनीतिक दल को मिलने वाला पैसा बिल्कुल साफ होगा। सरकार ने इसके पीछे यह भी तर्क दिया है कि बैंक चाहे तो इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वालों की पहचान बैंक के द्वारा उनके केवाईसी डिटेल्स से की जा सकती है।
फिलहाल इलेक्टोरल बांड पर कोई रोक नहीं है। दान देने वाले और लेने वाली पार्टियां इसके लिए स्वतंत्र हैं। गौरतलब यह भी है कि याचिकाकर्ता ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तुरंत रोक की मांग की थी।