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पूर्व सैनिक प्रदीप समोता ने की सरहानिय पहल, आर्मी के रिलिफ फंड में दिया 81 हजार रुपये का चैक

भिवानी, 18 फरवरी(जगबीर घणघस): भिवानी में एक रिटार्यड फौजी ने पुलवामा के शहीदों की शहादत को सलाम करते हुए उनकी आर्थिक सहायता की सरहानिय शुरुआत की है। इस फौजी ने अपनी एक महीने की पेंशन व अपने डीएसपी बेटे का एक माह का वेतन आर्मी के रिलिफ फंड में दान दिया है। खुद प्रशान ने इस पहली की सरहाना करते हुए अन्य लोगों से भी मदद के लिए आगे आने की अपिल की है।

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले में शहीद हुए 42 सैनिकों की शहादत को पूरा देश सलाम कर रहा है। हर कोई अपने-अपने तरीके से शहीदों को नमन कर रहा है। कोई प्रदर्शन कर पाकिस्तान के खिलाफ रोष जता रहा है तो कोई पाक की नापाक व कायराना हरकत को लेकर केंडल मार्च निकाल रहा है। कोई पाकिस्तान के झंडे जला रहा है। हर कोई सरकार से बदला लेने की मांग कर रहा है। इसी बीच भिवानी जिला में पहली बार एक रिटायर्ड फौजी ने शहीदों को शहादत को सलाम करते हुए आर्थिक मद्द के लिए अपने हाथ आगे बढाए हैं।

ये रिटायर्ड फौजी गांव दिनोद निवासी प्रदीप समोता हैं। प्रदीप समोता के बेटे परमजीत समोता अंतराष्ट्रीय बॉक्सर हैं और फिलहाल जीन्द में डीएसपी पद पर तैनात हैं। कहते हैं एक फौजी ही दूसरे फौजी के दर्ज को ज्यादा समझ सकता है। ऐसे में प्रदीप समोता ने अपनी एक माह की पेंशन व अपने डीएसपी बेटे का एक माह का वेतन इन शहीदों के परिवारों की आर्थिक मद्द के लिए दान दिया है। उन्होने एडीसी संगीता तेतरवाल को 81 हजार रुपये का चैक सोंपा। साथ ही उन्होंने पूरे देशवासियों से अपिल की है कि वो अपनी नेक कमाई से चाहे एक या सौ रूपये दें पर दें जरूर।

बता दें, कि प्रदीप समोता जिला में पहले व्यक्ति हैं जिन्होने पुलवामा के शहीद परिवारों के लिए आर्थिक मद्द के लिए हाथ बढाएं हैं। उनकी इस पहल को खुद एडीसी संगीता तेतरवाल ने सहानिय पहल बताया। उन्होने कहा कि सैनिकों की बदोलत हम जीवीत रहते हैं। उन सैनिकों ने तो देश के लिए जान देकर अपना फर्ज अदा किया, ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि हम भी उनके परिवारों की आर्थिक मद्द करें। उन्होने कहा कि प्रशासन के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए रेडक्रास में एक अकाउंट खोला गया है। एडीसी ने कहा कि हर व्यक्ति को मद्द के लिए आगे आना चाहिए।

आज पूरा देश पुलवामा के शहीदों की शहादत को याद कर रहा है, पूरा देश गुस्से में है। लेकिन समय के साथ गुस्सा ठंडा हो जाता है। ऐसे में देशवासी अपने गुस्से के साथ उन शहीदों के परिवारों की आर्थिक सहायता करे तो सच में ये सबसे बङी श्रृद्धांजली होगी।

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