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व्यापारी को लाभ पहुँचाने के चक्कर में परिवहन विभाग को लग रही लाखों की चपत

अम्बाला, 12 फरवरी। परिवहन विभाग को हर माह विभाग ही लगा रहा लाखों की चपत। एक व्यापारी को लाभ पहुँचाने के चक्कर में टैक्स कलेक्शन पॉइंट राज्य सीमा से बनवाया कईं किलो मीटर दूर। क्या अधिकारी होटल मालिक को लाभ पहुँचाने के लिए लगा रहे सरकार को चुना। क्यों अधिकारीयों ने इस पूरे घोटाले से मुंदी आंखे , कब तक यह अधिकारी पेट्रोल पंप और फ़ूड जंक्शन को पहुंचते रहेंगे लाभ।

हरियाणा सरकार वैसे तो कायदे कानून और नियम की काफी सख्त है और भ्र्ष्टाचार करने वालों पर समय समय पर लगाम भी कस्ती रहती है। मगर उस वक्त सरकार भी मजबूर हो जाती है। जब सरकार के ही अधिकारी सरकारी कोष को ठगने में लग जाएं। मामला अम्बाला के परिवाह विभाग का है जहाँ अधिकारी अपने ही विभाग को हर महीने लाखों की चपत लगाने में जुटे हुए हैं। वैसे तो हरियाणा के परिवहन मंत्री विभाग को लाभ पहुँचाने के लिए जब भी सड़क पर उतरते हैं तो कुछ ही घंटों में 20 50 लाख का मुनाफा करवा जाते हैं। लेकिन यहाँ सरकार के अधिकारी ही सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने में लगे हैं ।

दरअसल पंजाब व हिमाचल राज्यों से आने वाले कमर्शिल वाहनों को प्रदेश में एंट्री करने पर टैक्स देने होता है जोकि विभाग के टैक्स कलेक्शन पॉइंट के ऊपर जमा करवाया जाता है। ऐसे में टूरिस्ट बस, टैक्सी व अन्य कमर्शिल वाहन इन पॉइंट्स पर रुक कर अपना टैक्स जमा करवाते हैं। जोकि राज्यों की सीमा पर बने होते हैं। मगर अम्बाला में परिवहन विभाग ने इन टैक्स पॉइंट को सीमा से हटा कर लगभग 8 किलोमीटर दूर एक निजी पेट्रोल पंप के बाहर बना दिया। जिससे ना सिर्फ पंजाब बल्कि हिमाचल से हरियाणा में आने वाले रास्ते बीच में ही छूट जाते हैं और ये वाहन आराम से बिना टैक्स दिए प्रदेश की सीमा पार कर जाते हैं।

ऐसे में अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या परिवहन विभाग के अधिकारियों ने निजी पंप मालिक को लाभ पहुँचाने के लिए सरकार को चपत लगाई है। क्योंकि जब से इस पेट्रोल पंप के पिछे फ़ूड जंक्शन बना है तभी से इस टैक्स कलेक्शन पॉइंट की जगह सीमा से बदल कर कई किलोमीटर दूर इस फ़ूड जंक्शन जग्गी सिटी सेंटर के बाहर बना दिया गया है। ऐसे में यह चर्चा आम है कि क्या परिवहन विभाग के अधिकारियों ने मात्र इस फुड जंक्शन को लाभ देने के लिए यह कदम उठाया है या फिर इसके पीछे और कोई झोल है। मगर बड़ा सवाल यह है कि परिवहन विभाग को जो चुना लग रहा है इसका जिम्मेवार आखिर कौन है।

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