पानीपत, 21 नवंबर: पानीपत बाल विवाह के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़कर अपनी मर्जी से शादी करने वाली एक लड़की की इन दिनों पानीपत में काफी चर्चा हो रही है। दरअसल, 18 साल की शशि की आठ वर्ष पहले शादी कर दी गई थी। करीब डेढ़ साल पहले ससुराल पक्ष के लोग उसे लेने आए तो उसने जाने से मना कर दिया। इसके बाद मामला कोर्ट में गया। कानूनी लड़ाई लड़ी। फिर सोमवार को अपने पसंद के लड़के से शादी की। इस दौरान शशि का इस लड़ाई में पूरे परिवार ने साथ दिया। गांव से प्रताड़ना के बाद भी शशि के परिवार का फैसला नहीं बदला।
दरअसल 2008 में परिवार वालों ने शशि की शादी इसलिए कर दी क्योंकि घर में उसके चाचा का रिश्ता कहीं पक्का नहीं हो रहा था। इसलिए बीच का रास्ता निकाला गया और चाचा के साथ होने वाली लड़की के भाई से शशि का रिश्ता पक्का किया गया। तब शशि की उम्र महज आठ साल थी। शशि की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ उस वक्त की गई थी जब वह बहुत छोटी थी। तब वह शादी के मायने भी नहीं जानती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ शशि को यह पता चल गया था कि उसका बाल विवाह हुआ है, जिसकी चर्चा भी शशि को पसंद नहीं थी।
स्कूल में बाल विवाह पर आयोजित एक सेमिनार के दौरान शशि को इस कुप्रथा का पता चला जिसे तोड़ा भी जा सकता है। तभी उसने यह तय कर लिया कि उस शादी को नहीं मानूंगी। शशि ने मार्च 2017 में पिता के साथ जाकर महिला संरक्षण एवं बाल विवाह में शिकायत की। ससुराल वालों को बुलाया गया, लेकिन वे नहीं माने। मई 2017 में कोर्ट में शादी खत्म करने के लिए केस दायर किया। 14 माह की लड़ाई के बाद 16 जुलाई 2018 को कोर्ट ने बाल विवाह मानते हुए शादी को रद्द कर दिया। कानूनी लड़ाई लड़ने के दौरान कई तरह से दबाव डाले गए। शशि की चाची को तो उसके मायके वाले यह कह कर वापिस ले गए कि जब तक शशि नहीं आएगी तब तक वह उसे नहीं भेजेंगे । चाचा से रिश्ता तोड़ने तक की बात कही गई।”
जिसके लिए पंचायत भी हुई। पंचायत की नहीं मानी तो शशी के परिवार को समाज से बेदखल कर दिया गया। इतना ही नहीं उनकी पुस्तैनी जमीन को भी हड़प लिया गया। इस पूरी लड़ाई में पिता ने बेटी का पूरा साथ दिया और आखिर में बाल विवाह के खिलाफ इस लड़ाई में उनकी जीत हुई।