जम्मू-कश्मीर डेस्क- इस बार कश्मीर के साथ साथ लद्दाख सेक्टर में बर्फ ने समय से बहुत पहले दस्तक क्या दी, करगिल और द्रास के नागरिकों के माथे पर चिंता की लकीरें खींर्च आईं। ऐसा ही हाल उन सैनिकों का है जो चीन सीमा पर चीन की बढ़त व घुसपैठ को रोकने की खातिर तैनात किए गए हैं। चिंता का कारण स्पष्ट है। न ही नागरिक व नागरिक प्रशासन कोई तैयारी कर पाया और न ही तैनात सैनिकों को सर्दी से बचाने की खातिर तैयारी पूरी की जा सकी है। अक्सर, नवम्बर 15 के बाद करगिल और द्रास समेत लद्दाख के पहाड़ों पर बर्फबारी आरंभ होती थी।
लेकिन इस बार 23 अक्तूबर को ही इसकी दस्तक ने सभी को चौंकाया है। द्रास स्थित प्रशासनिक अधिकारी मानते हैं कि चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती की कवायद में ही जुटे रहने के कारण वे करगिल व द्रास के नागरिकों के लिए सर्दी में की जाने वाली तैयारियां ही आरंभ नहीं कर पाए।
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सर्दी ने भयानक रूप में दी दस्तक
सूत्र मानते हैं कि, लद्दाख में सर्दी अपने भयानक रूप में दस्तक दे चुकी है ओर ऐसे में दोनों मुल्कों की सेनाएं अपने जवानों का मनोबल बढ़ाने की कोशिश में जुटी हैं। अधिकारी कहते थे कि, प्रकृति के स्वरूप को लेकर वे कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते हैं। वे इसका खमियाजा सियाचिन हिमखंड में शुरू के सालों में भुगत चुके हैं जब 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने इसे अपने कब्जे में लिया था। यह भी सच है कि आज भी सियाचिन हिमखंड में सबसे अधिक नुक्सान कुदरत के कारण सहन करना पड़ रहा है और भारतीय सेना चीन सीमा पर इसे दोहराना नहीं चाहती है।