उत्तर प्रदेश डेस्क- केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने वाराणसी में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित किया। इस दौरान उन्होनें कहा कि, हिन्दी की स्वीकृति लानी है तो हिन्दी को लचीला बनाना पड़ेगा। हिन्दी के शब्दकोष को भी समृद्ध करने की जरूरत है। जो देश अपनी भाषा खो देता है वो कालक्रम में अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते।
हिन्दी के शब्दकोष में हो समृद्ध
वाराणसी में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में गृह मंत्री अमित शाह बोले हिन्दी और हमारी स्थानीय भाषाओं के बीच में कोई अंतर्विरोध नहीं है, हिन्दी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है। ये दोनों पूरक हैं। हम सब हिन्दी प्रेमियों के लिए ये संकल्प का वर्ष रहना चाहिए कि जब आज़ादी के 100 वर्ष हों तब देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि हमें किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की जरूरत न पड़े। मैं मानता हूं कि ये काम आज़ादी के तुरंत बाद होना चाहिए था।
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गृह मंत्री अमित शाह राजभाषा को गति देने का जरिया अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को दिल्ली के गलियारों से बाहर निकालने का निर्णय हमने 2019 में ही कर लिया था लेकिन 2 साल कोरोना काल में हम नहीं कर पाए। मुझे आनंद है कि ये नई शुरुआत उस वर्ष में होने जा रही है जो हमारी आज़ादी का अमृत महोत्सव है।