नेशनल डेस्क: पिछले एक साल से जिन कृषि कानूनों को लेकर देश के अंदर किसानों का आंदोलन चल रहा था उन कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वापस लेने का ऐलान किया। प्रकाश पर्व के मौके पर की गई इस घोषणा का अभी तक लगभग सभी विपक्षी दलों ने तहे दिल से स्वागत किया। तो वहीं संसद में कानून वापसी बिल वापस ले लिया गया और राष्ट्रपति ने बिल पर हस्ताक्षर कर कानूनों को निरस्त कर दिया। इस बीच हाल ही में अपनी नई पार्टी का ऐलान करने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पीएम का उनकी घोषणा के लिए धन्यवाद किया था।
सियासी गलियारो में चर्चाएं तेज
तो वहीं एक और जहां पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, उससे ठीक पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का ऐलान कर दिय़ा है। इतना ही नहीं कैप्टन ने ये भी ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी भाजपा को समर्थन देगी। तो वहीं अब सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं कि, क्या कैप्टन के बार- बार आग्रह करने पर पीएम मोदी ने उनकी बात मानी या फिर कृषि कानूनों के वापस होने पर कैप्टन अमरिंदर का हाथ हैं ! पंजाब में सियासी माहौल बनाने और हवाएं बदलने के लिए पीएम मोदी ये भी घोषणा कर सकते हैं कि, कृषि कानूनों वापिस लेने में कैप्टन का बड़ा योगदान है। अब देखना ये होगा कि, आखिरकार कैप्टन की नई पार्टी को जनता कितना संमर्थन देगी। क्या भाजपा के लिए कैप्टन का समर्थन जीत की ओर ले जाएगा ?
कृषि कानूनों को लेकर कैप्टन ने कई बार पीएम मोदी से की थी मुलाकात
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कई बार प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी और उनसे कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया था। पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान उन्हें दो अलग-अलग पत्र भी सौंपे थे। इस पत्र में उन्होंने तीन कृषि कानूनों की तत्काल समीक्षा और रद्द करने का आह्वान करते हुए कहा था कि इन तीनों कानून को लेकर पंजाब और अन्य राज्यों में किसानों के बीच ‘व्यापक आक्रोश’ है। साथ ही किसानों को उन लोगों की श्रेणियों में शामिल करने की मांग की थी जो मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त करने के योग्य हैं।
तो वहीं, कानूनों की वापसी के ठीक बाद अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी का ऐलान भी कर दिया। भाजपा को भी इस फैसले से काफी मजबूती मिलती दिख रही है, क्योंकि कैप्टन ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। जो कि आगामी चुनाव में भाजपा को पंजाब में पाव पसारने के लिए बेदह जरूरी है।