Sunday , 10 November 2024

कोरोना के बाद अब इस खतरनाक बिमारी ने बढ़ाया टेंशन, 123 लोग गवां चुके हैं जान

नेशनल डेस्क- दुनियाभर में कोरोना का संकंट अभी पूरी तरह से गया भी नही था कि, अब एक नई बिमारी ने दस्तक दे दी। बता दें, कोरोना महामारी के बीच नाइजीरिया में तेजी से पांव पसार रहा लासा फीवर दुनिया के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है। नाइजीरिया सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के अनुसार, नाइजीरिया में इस वर्ष 88 दिनों में लासा फीवर से 123 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अब तक 659 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। ब्रिटेन में दो मरीज मिले हैं जबिक, एक मौत हुई है। 25 फीसदी रोगी जो लासा फीवर को मात देते हैं उनमें बहरापन होता है। इसमें से आधे मरीजों की एक से तीन महीने में सुनने की क्षमता लौट जाती है।

लासा वायरस बीमारी की जड़
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लासा फीवर एक्यूट वायरल हैमोरेजिक फीवर होता है जो लासा वायरस के कारण होता है। लासा का संबंध वायरसों के परिवार एरिनावायरस से है। मनुष्य आमतौर पर इसकी चपेट में अफ्रीकी मल्टीमैमेट चूहों से आते हैं। घर का सामान या खाद्य पदार्थ जो चूहों के यूरिन और गंदगी से संक्रमित होता है उससे बीमारी फैलती है। डब्ल्यूएचओ की माने तो, लासा फीवर की चपेट में आने वाले 80 फीसदी में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखता है। पांच में से एक संक्रमित को गंभीर तकलीफ होती है। वायरस से शरीर के प्रमुख अंग लिवर, स्प्लीन और किडनी को बुरी तरह प्रभावित होने का साक्ष्य मिला है। गंभीर मरीजों की मौत का कारण ऑर्गन फेल्योर होता है।

Read More Stories:

कोरोना जैसे लासा के लक्षण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लासा वायरस की चपेट में आने पर व्यक्ति को तेज बुखार्, सिर दर्द, गले में खराश, मांसपेशी में दर्द, सीने में दर्द, डायरिया, खांसी, पेट में दर्द और जी मिचलाना है। गंभीर मरीजों में चेहरे पर सूजन, फेफड़ों में पानी, मुंह और नाक से खून निकलने लगता है। मरीज के ब्लड प्रेशर में भी तेजी से गिरावट आने लगती है। मनुष्य पर लासा फीवर का प्रभाव दो से 21 दिन तक रहता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *