15 अगस्त 2018 को हम देश का 72वा आज़ादी दिवस मनाने जा रहे हैं लेकिन जिन जवानों की सहादत से कायम है हमारी और हमारे देश की आज़ादी उन शहीद होने वाले फौजी जवानों के परिवार वाले राजनीतक नेताओं के झूठे वायदे के कारण नाराज दिखाई दे रहे हैँ। यहां तक कि परिवार को दी जाने वाली सहायता राशी भी नहीं मिल पा रही हैं। देश की रक्षा के लिए शहीद हुए जवानों के बूढ़े मां बाप को सरकारी दफ्तरों के चक्कर मरवाए जाते हैं। इन समस्याओं को लेकर जब गुरदासपुर के गांव राय चक्क के शहीद हवलदार पलविंदर सिंह के परिवार से बात की गई तो परिवार का दर्द और पीड़ा उनकीं आँखों में साफ़ झलक रही थी। बता दें शहीद पलविदंर सिंह ने 4 दिसंबर 2017 को श्रीनगर से करीब 50 किलोमीटर की दुरी पर खन्नेवाल में आंतकियो से हुई लंबी मुठभेड़ में 3 आतंकियो को ढेर कर शहादत को पाया था।
पलविंदर सिंह के शहीद होने के बाद पंजाब सरकार के मंत्री सुखिजिंदर सिंह रंधावा जोकि इस हलके के विधायक भी हैं ने शहीद के गांव में हाई स्कूल का नाम शहीद पलविंदर सिंह करने की घोषणा के साथ साथ स्कूल को सीनियर सेकेंडरी करने का वायादा किया। साथ ही गांव में शहीद के नाम का खेल स्टेडियम और शहीद के घर की गली को पक्का करने का वायदा भी किया। लेकिन करीब नौ महीने गुजरने के बाद भी वायदे केवल वायदे ही बनकर रह गए।
शहीद की पत्नी की सरकार से मांग हैं कि पंजाब सरकार की तरफ से 12 लाख रूपये की सहायता राशि का एलान किया गया था, जिसमें से सिर्फ 5 लाख ही अब तक दिया गया है।
शहीद के पिता का कहना है कि सरकारी दफ्तरों में काम के सिलसिले में कई कई घंटे उन्हें लंबी लाइनों में इंतजार करना पड़ता है। बजुर्ग होने के कारण वह ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते, सरकार को चाहिए शहीद परिवारों को वह कोई पहचान पत्र जारी करें ताकि उन्हें लाईनों में लगना न पड़े।
सोचने वाली बात यह है कि इस आज़ादी को कायम रखने और हमारे परिवारों की सुरक्षा के लिए जिन जवानों ने अपनी जिंदगीयां कुर्बान कर दी क्या उन शहीदों के परिवारों को दुःख के आंसू देकर आज़ादी दिवस मनाना कितना जायज है।