चंडीगढ,12सितम्बर। चंडीगढ के सेक्टर 37 में एक 10 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ रिश्ते के मामा द्वारा बलात्कार उसे गर्भवती करने के मामले में नया मोड आ गया है। सुप्रीम कोर्ट से गर्भपात की अनुमति न मिलने के बाद इस स्कूली छात्रा ने चंडीगढ के सेक्टर 32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल काॅलेज एंड हाॅस्पिटल में स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया था। चंडीगढ स्थित सेन्ट्ल फोरेंसिक लेबोरट्री ने नवजात बच्ची और बलात्कार के अभियुक्त के डीएनए का मिलान किया था लेकिन यह दोनों का डीएनए नहीं मिला।
अभियुक्त के वकील मनजीत सिंह ने मंगलवार को इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि बलात्कार पीडिता द्वारा जन्म दी गई बच्ची और अभियुक्त के डीएनए मिलाने के लिए नमूने सेन्ट्ल फोरेंसिक लैब भेजे गए थे। दोनों नमूनों का मिलान नहीं हुआ। मतलब यह है कि बलात्कार पीडिता द्वारा जन्म दी गई बच्ची का पिता अभियुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक मोड आ गया है। अब अदालत पर निर्भर है कि वह क्या फैसला करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने करीब 28 सप्ताह के गर्भ का डाॅक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर समापन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। कानूनन 20 सप्ताह के गर्भ के समापन की अनुमति दी जाती है। पिछले 17अगस्त को बलात्कार पीडिता ने सीजेरियन आॅपरेशन से बच्ची को जन्म दिया था।