गुरुग्राम, 2 अगस्त(सतीश कुमार राघव): साइबरसिटी गुरुग्राम का सामान्य अस्पताल एक बार फिर से विवादों के घेरे में है। इस बार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से न केवल नवजात बच्चे की जान गई बल्कि माँ को भी जान से हाथ धोना पड़ा और यह सब हुआ सिविल अस्पताल प्रबंधन की कमियों के कारण। बता दें, पीड़ित परिवार मूलरूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है जोकि गुरूग्राम के सिरहौल इलाके में रहता है। पीड़ित परिवार का आऱोप है कि महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ अस्पताल प्रबंधन के ठीक से इलाज ना किए जाने की वजह से नवजात शिशु की मौत हो गई। इतना ही नहीं जब परिजनों ने नवजात की मौत पर हंगामा किया तो अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में महिला को दिल्ली रेफर कर दिया। लेकिन सही समय पर एंबुलेंस की व्यवस्था न होने के कारण महिला की भी मौत हो गई। गुरुग्राम, 2 अगस्त(सतीश कुमार राघव): साइबरसिटी गुरुग्राम का सामान्य अस्पताल एक बार फिर से विवादों के घेरे में है। इस बार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से न केवल नवजात बच्चे की जान गई बल्कि माँ को भी जान से हाथ धोना पड़ा और यह सब हुआ सिविल अस्पताल प्रबंधन की कमियों के कारण। बता दें, पीड़ित परिवार मूलरूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है जोकि गुरूग्राम के सिरहौल इलाके में रहता है। पीड़ित परिवार का आऱोप है कि महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहाँ अस्पताल प्रबंधन के ठीक से इलाज ना किए जाने की वजह से नवजात शिशु की मौत हो गई। इतना ही नहीं जब परिजनों ने नवजात की मौत पर हंगामा किया तो अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में महिला को दिल्ली रेफर कर दिया। लेकिन सही समय पर एंबुलेंस की व्यवस्था न होने के कारण महिला की भी मौत हो गई।
जच्चा बच्चा दोनों की मौत के कारण जब पीड़ित परिवार का गुस्सा सिविल असप्ताल पर बरसा तो अधिकारी मौके पर पहुंचे। गुरुग्राम के सीएमओ और अस्पताल के पीएमओ ने मौके पर पहुंच स्थिति को काबू करने की कोशिश की लेकिन परिजनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो ऐसे में सीएमओं ने जांच का आदेश देते हुए जांच रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कार्यवाही करने का आश्वासन पीड़ित परिवार को दिया।
एक तरफ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का दावा करते नहीं थकते वहीं दूसरी तरफ गुरुग्राम जैसे शहरों में अस्पताल प्रबंधन की इस तरह की लापरवाही प्रशासन के दावों पर सवालिया निशान लगा रही है। ऐसे में देखना होगा कि इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों पर स्वास्थ्य विभाग कब तक कार्यवाही करता है।