गुरुग्राम, 26 जून(सतीश): मानसून नजदीक है लेकिन अभी तक गुरुग्राम शहर आने वाले मानसून के लिए तैयार नहीं है। शहर में जगह-जगह गंदगी का ढेर लगा है, कॉलोनियों की मेन गलियों में सीवर का पानी भरा है, सड़कें टूटी है। इतना ही नहीं हालात यह है कि सीवर का गंदा पानी घरों में घुस रहा है। लेकिन प्रशासन ने अभी तक इस ओर कोई सुध नहीं ली। गुरुग्राम को मॉनसून के दौरान भारी बारिश होने पर बाढ़ जैसे हालात झेंलने पड़ सकते है।
आपको बता दे, कि 2016 में महाजाम के बाद हालांकि हीरो होंडा चौक पर हालात बदले जरूर है। फ्लाईओवर और अंडरपास का निर्माण जहाँ पहले ही पूरा किया जा चुका है। वहीं बरसाती पानी से निपटने के लिए जिस बादशाहपुर ड्रेन का निर्माण अभी तक हो जाना चाहिए था वो अभी भी अधूरा ही है। बता दे कि घाटा गाँव के अरावली श्रंखलाओं और आस पास के इलाकों से यह बरसाती पानी बादशाहपुर होते हुए नजफगढ़ ड्रेन में जाया करता था। प्राकृतिक तौर से लेकिन लगातार होते इमारती निर्माणों ने इस ड्रेन का अस्तित्व धीरे धीरे बहुत कम यानी छोटे से नाले के तौर पर कर दिया गया था। जिसके चलते 2016 में साइबर सिटी को महाजाम का दंश झेलना पड़ा था। हालांकि अब इस ड्रेन को चौड़ा और व्यवस्थित जरूर किया जा रहा है लेकिन अधूरे निर्माण ने एक बार फिर जिला प्रशासन के लापरवाह रवैये को जरूर उजागर कर दिया है।
वहीं जिला उपायुक्त की माने तो इस बार बरसाती पानी से निपटने के इंतज़ाम जरूर किये गए है लेकिन बादशापुर ड्रेन का अधूरा काम जिला प्रशासन की नींद उड़ाए हुए है। ऐसे में अगर सिटी में जम के बदरा बरसे तो जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।