2 जून(जितेंद्र मोंगा): किसानों के गांव बंद आंदोलन के चलते शुक्रवार को आंदोलन के पहले दिन फतेहाबाद में हुई दो हिंसात्मक घटनाओं के बाद पुलिस ने 45 किसानों पर केस दर्ज किया गया है। वहीं 9 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसी मामले मे आज किसानों पर मुकदमा दर्ज होने के बाद सैकड़ों किसान शनिवार को एसपी कार्यालय पहुंचे और एसपी से दर्ज किए गए केस वापस लेने की मांग की। सैकड़ों किसानों की अगवाई के लिए एसपी से मिलने पहुंचे अखिल भारतीय स्वामीनाथन आयोग संघर्ष समिति के राष्ट्रीय प्रचारक विकल पचार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि फतेहाबाद के एसपी से उनकी आंदोलन में हुई हिंसा की घटनाओं पर चर्चा हुई है और किसानों की तरफ से एसपी को आश्वासन दिया गया है कि किसान किसी भी तरह की हिंसा की कोई घटना नहीं करेंगे और आंदोलन के नाम पर यदि कहीं कोई घटना होती है तो उस घटना पर किसानों की कमेटियां नजर रखेंगे और कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे। उधर स्थानीय किसानों का कहना है कि किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमे झूठे हैं और सरकार पुलिस के जरिए किसानों के आंदोलन को दबाने का प्रयास कर रही है।
बीते दिन किसान आंदोलन के दौरान की गई हिंसा के बारे में एसपी दीपक सहारण ने बताया कि जिले में आंदोलन पर कड़ी नजर रखते हुए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं और सभी थाना क्षेत्रों में पेट्रोलिंग पार्टियां बनाई गई है और संवेदनशील जगहों पर पुलिस फोर्स तैनात की गई है। एसपी ने बताया कि शुक्रवार की घटना के बाद शनिवार को थाना क्षेत्रों में शो ऑफ फोर्स निकाला गया है और किसानों को स्पष्ट हिदायत दी गई है कि आंदोलन के दौरान हिंसा किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पुलिस की कार्रवाई और किसानों की केस वापस लेने की कोशिशों के बीच फतेहाबाद में फिर से एक घटना सामने आई जिसमें कुछ किसानों ने एक दूधवाले का दूध जानबूझकर सड़क पर फेंक दिया और दूध वाले को पीटने का प्रयास किया। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिस पर एसपी ने तुरंत संज्ञान लेते हुए संबंधित थाना को केस दर्ज कर आरोपी की गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि किसानों पर मामला दर्ज कर किसानों के आंदोलन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पुलिस ने किसानों पर दर्ज किए मामले और गिरफ्तार किए किसानों को जल्द ही नही छोड़ा तो ”किसान आंदोलन” को उग्र कर दिया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी।
बता दे किसान आंदोलन के पहले दी किसानों ने जबरदस्ती वाहनों को रुकवाकर दूध और सब्जियों को सड़क पर गिरा दिया था इतना ही नहीं वाहन चालकों से धक्केशाही और मारपीट पर भी उतारू हो गए थे प्रदर्षनकारी