चंडीगढ,24मई। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने ब्यास नदी में सिरे के बहाव के मामले में चड्ढा शुगर मिल के विरुद्ध 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने सहित सख़्त कर्रवाई करने का फ़ैसला किया है।चंडीगढ,24मई। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने ब्यास नदी में सिरे के बहाव के मामले में चड्ढा शुगर मिल के विरुद्ध 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने सहित सख़्त कर्रवाई करने का फ़ैसला किया है। यह फ़ैसला भी किया गया कि पर्यावरण को बड़े स्तर पर नुक्सान पहुंचाने के लिए जि़म्मेदार यह मिल 17 मई, 2018 को जारी की हिदायतों के मुताबिक बंद रहेगी। इसी तरह प्रदूषण की रोकथाम के लिए सभी ज़रुरी कदम न उठाए जाने तक उद्योग को काम चलाने की आज्ञा नहीं दी जायेगी। ये फ़ैसले पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की तरफ से लिए गए जिसकी रिपोर्ट आज यहाँ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय मीटिंग के दौरान सौंपी गई।
बोर्ड ने जांच के उपरांत मिल के जि़म्मेदार लोगों के विरुद्ध वाटर (प्रीवेन्शन एंड कंट्रोल ऑफ पोल्युूशन) एक्ट -1974 के अंतर्गत समर्थ अथॉरटी को अपराधिक कार्यवाही करने की सिफ़ारिश की है।
मीटिंग के उपरांत एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बुधवार को पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को आज तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार मिल को काम चलाने के लिए वाटर (प्रीवेन्शन एंड कंट्रोल आफ पोल्युूशन) एक्ट की धारा 25 /26 नये सिरे से सहमति लेने की ज़रूरत है।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सिफारशों और फ़ैसलों के अंतर्गत मिल के विरुद्ध अपेक्षित कार्यवाही करने के लिए संबंधी अथॉरिटी को हिदायत करते हुए मुख्यमंत्री ने पर्यावरण मंत्री ओ.पी. सोनी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया जो राज्य में नदियों की सफ़ाई के लिए उठाए जाने वाले कदमों बारे अपने सुझाव देगी। इस कमेटी को पीने वाला साफ़ पानी मुहैया करवाने को यकीनी बनाने के लिए सुझाव देने का जिम्मा भी सौंपा गया है और कमेटी 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस व्यापक प्राजैक्ट के लिए फंड मुहैया करवाने के हुक्म दिए।
मीटिंग संबंधी विस्तार में जानकारी देते हुए प्रवक्ता ने बताया कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नूं ने मुख्यमंत्री को बोर्ड की तरफ से चड्ढा शुगर मिल के खि़लाफ़ प्र्यावरण को दूषित करने पर की जा रही दंडात्मक कार्यवाही संबंधी अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि मिल ने न सिफऱ् वाटर (प्रीवेन्शन एंड कंट्रोल आफ पोल्युूशन) एक्ट -1974 की धाराओं का उल्लंघन किया बल्कि ईस्ट पंजाब मोलासिस (कंट्रोल) एक्ट -1948 और फैक्ट्रीज़ एक्ट -1948 का भी उल्लंघन किया। मिल की तरफ से सिरे के स्टाक के प्रबंधों संबंधी न तो आबकारी कमिश्नर से स्वीकृति ली गई और न ही मोलासिस एक्ट का पालन किया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने जल स्पलाई और सिवरेज बोर्ड के एम.डी. को लुधियाना के बूढ़े नाले की सफ़ाई संबंधी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के साथ-साथ औद्योगिक इकाईयोँ की तरफ से इसमें फेंके जा रहे अवशेषों से जल प्रदूषण पर भी ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने जालंधर जिले में काला संघिया ड्रेन में चमड़ा उद्योग के अवशेष पडऩे से फैल रहे प्रदूषण के कारणों की जाँच करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
पर्यावरण मंत्री सोनी की अपील पर मुख्यमंत्री ने जल स्पलाई और सिवरेज बोर्ड के एम.डी. को नदियों की सफ़ाई और लोगों को साफ़ पानी मुहैया करवाने के लिए लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के नगर निगमों के सुझाव हासिल करने के लिए कहा। मीटिंग के दौरान यह फ़ैसला भी किया गया कि इस प्रक्रिआ के अंतर्गत व्यापक स्तर पर सतलुज, ब्यास और रावी नदियों की सफ़ाई करने के लिए समयबद्ध कार्य योजना तैयार की जाये।
मुख्यमंत्री ने लुधियाना में सभी कॉमन ऐफलूऐंट ट्रीटमेंट प्लांटों (सी.ई.टी.पी.) को तुरंत चालू करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को इसकी निरंतर निगरानी करने के लिए कहा। उन्होंने बोर्ड के चेयरमैन को सभी औद्योगिक ईकाईयों खासकर रंगाई, कपड़ा और चमड़ा की ईकाईयों में ई.टी.पीज़ स्थापित करने को यकीनी बनाने के लिए कहा।