गेहूं के अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण और धरती की उर्वरता खत्म ना हो इसके लिए कृषि विभाग अपने स्तर पर विभिन्न प्रयास कर रहा है। एक तरफ जहाँ गांव गांव जाकर लोगों को गेहूं के अवशेष ना जलाये जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वहीँ दूसरी तरफ इन सब के बावजूद गेहूं के अवशेष जलाने पर सख्ती से कार्यवाही की जा रही है। जिसके तहत प्रशासन की तरफ से गेहूं के अवशेष जलाने पर ढाई हज़ार रूपये से लेकर 15 हज़ार रूपये तक जुर्माना किया जा सकता है और इसके साथ ही इस बार जिले भर में 53 ऐसे सेंटर खोले गए हैं। जहाँ से किसान अपनी गेहूं की फसल के अवशेषों के प्रबंधन के लिए साधन किराये पर ले सकता है।
उप कृषि निदेशक विनोद कुमार ने बताया कि प्रत्येक गांव में किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग की तरफ से कैम्प लगाए जा रहे हैं ताकि कोई भी पराली ना जलाये। उसका भूसे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
विनोद कुमार ने बताया कि अगर किसान पराली को अपने खेतो में ही डी कम्पोज करना चाहता है तो पिछले सालों में तो उसे कृषि यंत्रो के लिए सब्सिडी दी जाती थी। लेकिन इस बार कृषि विभाग की तरफ से जिला भर में 53 सेंटर बनाये गए हैं। जहाँ से किसान किराए पर साधन लेकर अपनी पराली का प्रबंध कर सकता है। विनोद कुमार ने कहा कि यदि फिर कोई किसान पराली जलाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी। पराली जलाने वाले पर 2500 से लेकर 15 हज़ार रूपये तक जुर्माना किया जा सकता है।