Friday , 20 September 2024

रिक्शा चलाने वाला और चाय बनाने वाली चला रहे इंसानियत बैंक

जहां दूसरों के दुख-दर्द के लिए कोई जगह नहीं और पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं। ऐसे में एक रिक्शा चालक इंसानियत का अनूठा बैंक चला रहा हो तो आश्चर्य होना संभव है। फतेहाबाद, हरियाणा की भूना तहसील में रिक्शा चालक सुभाष और चाय की दुकान चलाने वाली उनकी पत्नी सुमन इंसानियत का अनोखा पाठ पढ़ा रहे हैं। पति पत्नी दोनों मिल कर एक ऐसा बैंक चला रहे हैं जो जरूरतमंदों को 500 रुपये तक का तत्काल उधार बिना किसी शर्त देते हैं। यह छोटी सी राशि कुछ लोगों के लिए जीवनरक्षक साबित होती है, तो कुछ के लिए जीवन की उम्मीद।

सुभाष और सुमन ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। बावजूद इसके इनकी अच्छी सोच अच्छे-खासे पढ़े-लिखों को इंसानियत का पाठ पढ़ा रही है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि दोनों का अपना खुद का घर तक नही है। किराए के मकान में जीवनयापन करने वाले दोनों पति पत्नी जरुरत मंदों की मदद कर सब को इंसानियत सिखा रहे हैं। जहाँ सुभाष रिक्शा चलाता है वहीं सुमन एक पार्क के किनारे खड़े एक पेड़ के नीचे चाय की दुकान चलाती हैं। जुगाड़नुमा इस दुकान में एक ओर लोहे की जाली से घिरा एक छोटा सा काउंटर भी है। इसके ठीक ऊपर एक बोर्ड लगा हुआ है। जिस पर लिखा है, इंसानियत बैंक। मायूस मत हो इंसानियत बैंक आपके साथ है।

इमरजेंसी में 500 रु. तक की सहायता, 10 किमी तक रिक्शा फ्री व फ्री चाय 24 घंटे उपलब्ध। यह सेवा अपने हक की कमाई खाने वालों के लिए है। भिखारियों के लिए नहीं। यह सहायता लेने वाला चाहे तो इस बैंक को एक साल तक वापस भी कर सकता है। नोट- यह बैंक रिक्शा चालक का है, किसी संस्था या सरकार का नहीं। जग में आए हैं जग के लिए, जग में जिएंगे जग के लिए। रिक्शा चालक सुभाष व सुमन टी स्टाल चौबारा।

सुभाष बताते हैं कि अफीम बेचने के एक झूठे मामले में उन्हें हिसार की जेल में नौ साल तक सजा भुगतनी पड़ी। जेल से बाहर आने पर उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। सुभाष रात-दिन रिक्शा चलाते हैं। इससे 100-150 रुपये की कमाई होती है। करीब इतनी ही कमाई चाय बेचने से सुमन की हो जाती है। दोनों अपनी कमाई का 10 फीसद प्रतिदिन जोड़ते हैं। इसी राशि से वे जरूरतमंद गरीबों की मदद करते हैं। अधिकांश लोग उधार ली हुई रकम देर-सबेर लौटा जाते हैं तो कुछ नहीं लौटा पाते हैं। सुभाष कहते हैं कि इंसानियत बरकरार रहे यही एकमात्र मकसद है। हर इंसान को चाहिये कि वो जरूरतमंद की मौके पर मदद करे, यही इंसानियत का फलसफा है।

वही रिक्शा चालक सुभाष के पड़ोसी भूप सिंह ने कहा की रिक्शा चालक सुभाष और उसकी पत्नी का अपना कोई घर नहीं है उसके बावजूद वह किराये पर रहता है और लोगों की मदद करने में हमेशा ततपरता दिखाता है।

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