हरियाणा प्रदेश की मनोहर सरकार सिस्टम को भ्रष्टाचार मुक्त करने के दावे करती नहीं थकती, उसी सरकार के सिस्टम को सरकार के ही अधिकारियों ने भ्रष्टाचार से खोखला कर दिया है। ताजा मामला फतेहाबाद की जिला आईटी सोसाइटी का है। जिस जिला आईटी सोसाइटी (डीआईटीएस) का काम जिले के बीपीएल परिवारों और पंचायतों को डिजीटल साक्षर करने का था, लेकिन वो अपने भारी-भरकम फंड को ‘इधर-उधर एडजस्ट करने में ही लगी रही। कम से कम जिला आईटी सोसाइटी की पिछले तीन साल की आडिट रिपोर्ट में तो यही खुलासा हुआ है। आडिट रिपोर्ट के कागजों की मानें तो फतेहाबाद जिले में तीन वित्त वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 तक जितने भी डीसी आए, वो लगातार तीन सालों तक रोजाना 120 किलोमीटर इनोवा गाड़ी में घूमते रहे। इतना ही नहीं, इन तीन सालों में आए सरकारी अवकाश और उनके निजी अवकाशों के दौरान भी ये इनोवा गाड़ी सड़कों पर दौड़ती रही। हां, ये बात अलग है कि जिले के किसी भी डीसी को स्थानीय लोगों या अधिकारियों ने इनोवा गाड़ी में निरीक्षण आदि पर जाते नहीं देखा। इसका सीधा सा मतलब है कि उनके लिए डीआईटीएस की इनोवा गाड़ी कागजों में ही दौड़ती रही और तीन साल में डीजल बिल की आड़ में सात लाख को ठिकाने लगा दिया गया।
इस बारे जानकारी देते हुए आरटीआई कार्यकर्ता सुशील बिश्नोई ने बताया कि वित्त वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक डीसी की इनोवा गाड़ी पर सात लाख का डीजल एवं रिपेयरिंग खर्च आया है। दूसरी और हैरानी की बात तो ये है कि पिछले एक साल में जिला आईटी सोसाइटी ने एक भी पंचायत को डिजिटल साक्षर करने के लिए एक कैंप तक नहीं लगाया।