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जाट आंदोलन के मुकदमे वापस लेने की खट्टर सरकार की तैयारी, सैनी ने कहा – कानून का मजाक ही उड जायेगा

चंडीगढ,10अप्रेल। हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वर्ष 2016 के जाट आरक्षण आंदोलन के मुकदमे वापस लेने की तैयारी पर भाजपा के ही कुरूक्षेत्र से सांसद राजकुमार सैनी ने कडा विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा हुआ तो कानून का तो मजाक ही उड जायेगा।

 

एक न्यूज चैनल को दिए बयान में सैनी ने कहा कि संविधान में जिन तीन स्तम्भों कार्यपालिका,न्यायपालिका और विधायिका का प्रावधान किया गया है उनमें से विधायिका सबसे कमजोर साबित हो रही है। आज लोग सडक पर बैठ कर कानून के खिलाफ फैसले करवा रहे है। इस तरह तो कानून सबके लिए बराबर नहीं रह जायेगा। अगर दवाब में मुकदमे वापस लिए जायेंगे तो कानून को कोई मानेगा ही नही। फिर तो छुटपुट अपराध करने वाले भी कहेंगे कि जब बाजार के बाजार जलाने वालों के मुकदमे वापस लिए गए हैं तो हमारे खिलाफ मुकदमा तो बनता ही नहीं। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह मुकदमे वापस लेने का फैसला किया गया है तो फिर एससी-एसटी आंदोलन,विदेश में एससी धर्मगुरू की हत्या के विरोध में हुई हिंसा,गुरमीत राम रहीम से जुडे मुकदमे,करणी सेना के मुकदमे भी वापस लेना चाहिए।

 

उल्लेखनीय है कि मनोहर लाल खट्टर सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज किए मुकदमों में से करीब 389 मुकदमे वापस लेने की तैयारी में है। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के साथ हुए समझौते के तहत खट्टर सरकार ये मुकदमे वापस लेने की तैयारी में है। ये मुकदमे हिंसा और आगजनी के है। हिंसा में 31 लोगों की जान गई थी। राज्य के गृह विभाग ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित सात जिलों के उपायुक्तों को मुकदमे वापस लेने के लिए जिला एटाॅर्नी के जरिए अदालतों में अर्जी दाखिल कराने के निर्देश दिए जा चुके है। राज्य सरकार दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत मुकदमे वापस लेने के लिए इस तरह अर्जी दाखिल कर सकती है लेकिन अंतिम फैसला अदालत ही करती है।

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