चंडीगढ,25मार्च। हरियाणा सरकार के लिए तनाव का कारण बने पूर्व खालिस्तानी उग्रवादी साठ वर्षीय गुरबख्श सिंह खालसा का आखिरकार छह दिन बाद रविवार को कुरूक्षेत्र जिले के ठसकाअली गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंतिम यात्रा में सिख कैदियों को रिहा करो के नारे लगाए गए। पूर्व उग्रवादी का शव भी खालिस्तान लिखी चादर में लपेटा गया था।
गुरबख्श सिंह खालसा पिछले कई सालों से सजा पूरी कर चुके जेलो में बन्द सिख उग्रवादियों की रिहाई की मांग को लेकर भूख हडताल करते आ रहे थें। इसी सिलसिले में पिछले 20 मार्च को वे अपने गांव में भूखहडताल के लिए पानी की टंकी पर चढ गए थे। बाद में उन्होंने टंकी से छलांग लगा दी थी। गंभीर घायल होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। गुरबख्श सिंह खालसा की मृत्यु के लिए पुलिस कर्मियों को जिम्मेदार बताते हुए उनके परिजनों व सिख संगठनों ने अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। बाद में कुरूक्षेत्र जिला प्रशासन के साथ भाजपा विधायक बख्शीश सिंह विर्क ने बातचीत कर परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सहमत किया।
पंजाब के कई सिख संगठन भी अंतिम संस्कार में पहुंचे। शिरोमणि अकाली दल पंजाब की ओर से भी रसम की चादर चढाई गई। असन्ध से विधायक सरदार बख्शीश सिंह विर्क की अगुवाई में अंतिम संस्कार के लिए कई बैठकें आयोजित की गई। इनमें संत समाज के लोग व सिख समुदाय के प्रतिनिधियों के अलावा उपायुक्त कुरुक्षेत्र डॉ एसएस फुलिया भी मौजूद थे। अब आगामी 29 मार्च को अंबाला के लखनौर साहब गुरुद्वारा में भाई गुरबख्श सिंह खालसा का अंतिम भोग व अरदास का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। अब तक पूरे कुरूक्षेत्र जिले की पुलिस गुरबख्श खालसा के पैतृक गांव ठसकाअली में 20 मार्च से डेरा डाले हुए थी। पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया था। पिछले 20 मार्च को सिख कैदियों की रिहाई के लिए गुरबख्श सिंह खालसा अपने ही गांव में आमरण अनशन के लिए 80 फुट ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ गए थे। उसी दिन शाम के समय गुरबख्श सिंह खालसा टंकी से नीचे कूद गए और रास्ते में ले जाते समय उनकी मौत हो गई। गांव के गुस्साए लोगों ने कुरुक्षेत्र पेहवा शाहाबाद रोड को भी जाम किया था उसी दिन से गांव में भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया था गांव के आने जाने वाले सभी रास्तों को भी सील किया गया था।
इस पूरे मामले में गुरबख्श सिंह खालसा के परिजनों का आरोप था कि पानी की टंकी पर आमरण अनशन के लिए चढने पर पुलिस ने जो जल्दबाजी दिखाई उसके चलते खालसा ने छलांग लगाई और जान गंवानी पडी। इस मामले में सिख प्रतिनिधियों से वार्ता में कुरूक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक व पिहोवा के पुलिस उपअधीक्षक के तबादले और झांसा व इस्माइलाबाद के थाना प्रभारियों को निलंबित करने के आशवासन दिए गए थे।