चंडीगढ,23मार्च। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भले ही नौकरशाही को लगाम दे पाने में नाकाम दिखाई देते रहे हों लेकिन वे सहयोगी मंत्रियों के वार बचाने में माहिर दिखाई देते हैं। अपने खिलाफ हाईकमान को शिकायत पहुंचाने वाले मंत्रियों को डिनर पर बुलाकर संघर्ष विराम को अंजाम देने वाले मनोहर लाल खट्टर इस डिनर डिप्लोमसी पर छिडी चर्चा को भी शांत करने के प्रयास में है।
मुख्यमंत्री के इन प्रयासों का खुलासा शुक्रवार को पंचकूला में उन्हीं के शब्दों से हुआ। मुख्यमंत्री से जब डिनर डिप्लोमेसी के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सामूहिक रूप से चर्चा करना और निर्णय लेना भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति है। उन्होंने कहा कि पूरा मंत्रिमंडल एकजुट है।
बहरहाल मुख्यमंत्री असहमत मंत्रियों के वार बचाने में जुटे हुए हैं। प्रयास किए जा रहे हैं कि मंत्रियों के असहमति के स्वर शांत हो जाए। मंत्री अपने विभागों में मुख्यमंत्री के जरूरत से ज्यादा दखल से परेशान रहे हैं। खास बात यह है कि जहां मुख्यमंत्री नौकरशाही का भरपूर सहयोग न मिलने की बात करते थे वहीं अब मंत्री शिकायत कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री के इशारे के कारण अधिकारी उनकी नहीं सुनते और मुख्यमंत्री का रवैया तानाशाही का है।
समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के इस रवैये के खिलाफ मंत्रियों द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को की गई शिकायत पर हाईकमान ने मुख्यमंत्री को सुलह का हाथ बढाने की सलाह दी है। इसी पर अमल करते हुए मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को डिनर पर बुलाकर नाराजगी दूर करने का प्रयास किया। इसके बाद ही ये खबरें आईं कि मंत्रियों को तबादलों में दखल के लिए एक माह की छूट दी जायेगी।
दरअसल मुख्यमंत्री मंत्रियों के साथ तालमेल बनाने की जरूरत भूल गए है। पार्टी नेतृृत्व द्वारा बार-बार कहा जा रहा है कि अगला विधानसभा चुनाव मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में ही लडा जायेगा। साथ ही विपक्ष भी मुख्यमंत्री को लगातार ईमानदार बता रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री यह भूल रहे हैं कि मंत्रियों के साथ तालमेल भी बडी राजनीतिक जरूरत है।