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पंजाब की सियासत में मजीठिया फिर एक धुरी बना

चंडीगढ,19मार्च। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर सोमवार को नेता प्रतिपक्ष सुखपाल खैहरा ने कहा कि प्रदेश में ड्ग की समस्या का समाधान नहीं हुआ है। ड्ग तस्करी के आरोपों से घिरे पूर्व अकाली मंत्री विक्रम मजीठिया के खिलाफ कोई कार्रवाई की उम्मीद कम है क्योंकि मजीठिया का पालन-पोषण कैप्टेन अमरिंदर सिंह के महल में हुआ है।

खैहरा ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में अपनाई जाने वाली रणनीति तय करने के लिए विधायक दल की बैठक के बाद यह बात कही। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार आगामी 23 मार्च को भगत सिंह के शहादत दिवस से ड्ग के खिलाफ दूसरा अभियान शुरू करने जा रही है। इससे साफ है कि राज्य सरकार ने यह मान लिया है कि प्रदेश में ड्ग का संकट बरकरार है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने तलवण्डी साबो की ओर मुंह करके और गुटका साहिब माथे पर लगाकर सौगन्ध ली थी कि चार सप्ताह में ड्ग समस्या दूर कर दी जायेगी।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को विक्रम मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। केबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू ने मजीठिया के खिलाफ सबूत होने का मुद्दा उठाया है। साथ ही चालीस कांग्रेस विधायकों ने भी कार्रवाई की मांग की है। एसटीएफ ने हाईकोर्ट में पेश किए हलफनामे में मजीठिया का नाम दिया है। इस सवाल पर कि एसटीएफ की इस रिपोर्ट पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दो सदस्यों की कमेटी का गठन किया है,खैहरा ने कहा कि यह काफी देर से उठाया कदम है। साथ ही विक्रम मजीठिया के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की उम्मीद कम है क्योंकि अमरिंदर और बादल परिवार के समबन्ध सभी को मालूम है। विक्रम मजीठिया का पालन-पोषण अमरिंदर सिंह के महल में हुआ है।

खैहरा ने कहा कि मजीठिया से मानहानि मामले के निपटारे के लिए पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के माफी मांगने का मुद्दा अब समाप्त किया जाना चाहिए। केजरीवाल ने साफ किया है कि वे दो दर्जन मुकदमों को इसी तरह निपटा कर शासन के लिए समय देंगे। इसी फेसले के तहत ही नितिन गडकरी से माफी मांगी गई है। लेकिन पंजाब इकाई को यह माफी मंजूर नहीं।

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में उठाने के लिए कई मुद्दे हैं। कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार की वायदा खिलाफी प्रमुख है। अमरिंदर सरकार के एक साल में 380 किसान और मजदूर आत्महत्या कर चुके है। अमरिंदर सरकार इन्हें रोकने में नाकाम रही। घर-घर नौकरी देने का वायदा भी पूरा नहीं किया गया। अब सरकार प्राइवेट कम्पनियों द्वारा किए जाने वाले प्लेसमेंट अपने खाते में दर्ज कराने का प्रयास कर रही है। अवैध माइनिंग पर रोक नहीं लगाई जा सकी है। थर्मल पावर प्लांट बन्द कर दो हजार लोग बेरोजगार कर दिए गए। करीब 84 हजार आंगनबाडी वर्कर धरने पर बैठे है।

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