चंडीगढ,17मार्च। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय परिसर में मानव बम विस्फोट में हत्या करने के मामले में शनिवार को विशेष सीबीआई अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी। आजीवन कारावास प्राकृतिक मृृत्यु तक के लिए सुनाया गया है। अदालत ने इस अपराध के लिए तारा पर 35 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है।
तारा चंडीगढ की बुडैल जेल में बन्द है और विशेष अदालत ने इसी जेल में सुनवाई कर तारा को दोषी करार दिया और शनिवार को सजा सुनाई। तारा ने अदालत में अपनी गवाही में कहा था कि मुख्यमंत्री पद पर रहते तारा ने हजारों निर्दोष सिख युवकों की हत्या करवाई और इनका बदला लेने के अलावा कोई और चारा नहीं था।
पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही दिलावर सिंह को मानव बम के रूप में इस्तेमाल की बेअंत सिंह की हत्या की गई थी। विस्फोट में बेअंत सिंह के अलावा 16अन्य लोग मारे गए थे। हत्याकांड में कुल 15अभियुक्त नामजद किए गए थे। सात अभियुक्तों को पहले ही सजा सुनाई जा चुकी थी। एक अभियुक्त बरी कर दिया गया और छह अन्य धोषित अपराधी करार दिए गए। तारा ने अदालत में कहा था कि उसे जनरल डायर की हत्या करने वाले शहीद उधम सिंह और सिख इतिहास से बेअन्त सिंह की हत्या की प्रेरणा मिली और उसे इस हत्या पर कोई पछतावा नहीं है।
सीबीआई अदालत ने इस मामले में जगतार सिंह हवारा,परमजीत सिंह भेओरा,गुरमीत सिंह,लखविंदर सिंह,शमशेर सिंह,नसीब सिंह और बलवन्त सिंह राजोआना को पहले ही सजा सुना दी थी। नवजोत सिंह को बरी किया गया था। जगतार तारा व दो अन्य अभियुक्त सुनवाई के दौरान बुडैल जेल से फरार हो गए थे लेकिन बाद में तारा को वर्ष 2015 में थाईलैंड से गिरफ््तार कर लिया गया था।
सीबीआई के वकील ने तारा को फांसी की सजा देने की मांग रखी थी। लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने बेअंतसिंह की हत्या के पीछे के हालात बयान करते हुए दलील दी कि युद्धबंदी को फांसी की सजा नहीं दी जाती है। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि अलग-अलग धाराओं में तारा को दस-दस साल की तीन सजा और दो आजीवन कारावास सुनाए गए। उन्हें प्राकृतिक मृृत्यु तक आजीवन कारावास सुनाया गया। बचाव पक्ष के वकील ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान सिखों पर लागू नहीं होता है क्योंकि संविघान सभा में शामिल सिख प्रतिनिधि हुकम सिंह व भूपेन्द्र सिंह मान ने संविधान पर हस्ताक्षर नहीं किए।