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388 वीं शिवाजी जयंती पर विशेष तथ्य

शिवाजी महाराज का जन्म शाहजी भोंसले की पत्नी जीजाबाई (राजमाता जिजाऊ) की कोख से 19 फ़रवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। शिवनेरी का दुर्ग पूना से उत्तर की तरफ़ जुन्नर नगर के पास था। उनका बचपन उनकी माता जिजाऊ के मार्गदर्शन में बीता। वह सभी कलाओं में माहिर थे, उन्होंने बचपन में राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी।

इन्होंने बचपन से ही शासक वर्ग की क्रूरता देखी थी जिस कारण इनके अंदर बचपन से ही क्रूर शासन को उखाड़ फेंकने के विचार उठने शुरू हो गये थे।शिवाजी महाराज हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए मैदान में उतरे और मुग़ल शासको के खिलाफ उन्होने युद्ध की घोषणा की ।

शिवाजी मुग़ल शासकों के अत्याचारों को अच्छी तरह से जानते थे, इसलिए वे मुगलों का गुलाम नहीं बनना चाहते थे।शिवाजी संत रामदास और तुकाराम से बहुत प्रभावित हुए। संत रामदास शिवाजी महाराज के आध्यात्मिक गुरु भी थे।

शिवाजी महाराज का सन 1674 में रायगढ़ में राज्याभिषेक हुआ और इन्हें छत्रपति की उपाधि मिली। 3 अप्रैल सन 1680 को लम्बी बीमारी के कारण शिवाजी की मृत्यु हो गई, शिवाजी की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र सम्भाजी उत्तराधिकारी बने और मराठो की आजादी को बरकरार रखा .

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