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हरियाणा के कृृषि मंत्री बोले लागत तय करने के बारे में अभी ब्यौरा आना बाकी है

चंडीगढ,8फरवरी। हाल में केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 के बजट में किसानों को फसल के दाम लागत का डेढ गुना तक दिलाने का ऐलान किया है और इसके साथ ही बहस यह छिड गई है कि क्या डेढ गुना लाभ दिलाने के लिए लागत का व्यापक फाॅर्मूला तय किया जाएगा। इस बहस के बीच गुरूवार को हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड ने कहा कि अभी फसल लागत के फाॅर्मूले का ब्यौरा नहीं आया है लेकिन अभी तक इसे कृृषि मूल्य एवं लागत आयोग के अनुसार ही माना जा रहा है। चंडीगढ,8फरवरी। हाल में केन्द्र सरकार ने वर्ष 2018 के बजट में किसानों को फसल के दाम लागत का डेढ गुना तक दिलाने का ऐलान किया है और इसके साथ ही बहस यह छिड गई है कि क्या डेढ गुना लाभ दिलाने के लिए लागत का व्यापक फाॅर्मूला तय किया जाएगा। इस बहस के बीच गुरूवार को हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड ने कहा कि अभी फसल लागत के फाॅर्मूले का ब्यौरा नहीं आया है लेकिन अभी तक इसे कृृषि मूल्य एवं लागत आयोग के अनुसार ही माना जा रहा है।

 

कृृषि विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि फसल लागत के फार्मूले में जमीन की लीज के खर्च पर ब्याज और कृृषि के पूंजीगत सामान की लागत पर ब्याज को भी शामिल किया जाए। साथ ही कृषक परिवार द्वारा किए जाने वाले श्रम का मूल्य भी इसमें शामिल किया जाए।

 

धनखड ने कहा कि हरियाणा सरकार पहले से अपनी ओर से केन्द्र सरकार को सिफारिश भेजती रही है कि फसल के दाम उत्पादन लागत का पचास फीसदी लाभ तय करते हुए शामिल किए जाएं। उन्होंने कहा कि कृृषि विशेषज्ञ स्वामीनाथन ने यह कहा था कि कृषि उत्पादन बढ रहा है लेकिन उत्पादक कमजोर हो रहा है। इसलिए फसल का मूल्य उत्पादक आधारित हो। इस सिफारिश पर अमल किया जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय का नाम बदला गया। हरियाणा सरकार ने उत्पादक की चिंता करते हुए ही किसान कल्याण प्राधिकरण का गठन किया है।

 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हरियाणा सरकार ने एक ओर किसान कल्याण प्राधिकरण का गठन किया है तो दूसरी ओर सब्जी उत्पादक किसानों के लिए भावातंर भरपाई योजना लागू की है। किसानों की आय प्रति एकड़ कम से कम एक लाख रुपये तक हो इसके लिए पैरी एग्रीक्लचर अवधारणा के साथ-साथ जैविक व बागवानी गांव घोषित किए गए हैं। धनखड़ ने बताया कि किसानों को बाजार के बारे जानकारी देने के लिए लगातार तीसरे वर्ष कृषि शिखर नेतृत्व सम्मेलन का आयोजन इस बार 16 से 18 मार्च, 2018 तक रोहतक में आयोजित किया जाएगा जिसमें कृषि उद्यमियों, कृषि उत्पादों के व्यापारी व उद्यमी, कृषि वैज्ञानिक, किसान संगठन, कृषि क्षेत्र से जुड़े पत्रकार, प्रशासनिक अधिकारी व कृषि मुद्दों पर कार्यरत राजनेता भाग लेंगे और किसानों से सीधी चर्चा करेंगे।

 

उन्होंने बताया कि इस तीन दिवसीय कृषि शिखर नेतृत्व में लगभग एक लाख किसानों के भाग लेने की संभावना है। इससे पूर्व 23 फरवरी को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में ‘टोप 100’ नाम से एक गोलमेज वार्ता का आयोजन किया जाएगा।  इसमें 33-33 की संख्या में किसान, कृषि वैज्ञानिक तथा सरकारी अधिकारियों के अलावा वे स्वयं 100वें व्यक्ति होंगे। उन्होंने बताया कि इस वार्ता में किसान सरकार व कृषि विश्वविद्यालय से क्या चाहते हैं और विश्वविद्यालय किसानों से क्या चाहता है, इस पर मुक्त चिंतन होगा।

उन्होंने कहा कि  स्वामीनाथन आयोग ने  दो आर्थिक सिफारिशें की थीं। एक तो प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल खराब होने पर कम से कम 10 हजार  रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की सिफारिश की थी तो  दूसरी सिफारिश फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषि लागत के 50 प्रतिशत लाभ के साथ देने की। उन्होंने कहा कि हरियाणा में तो वर्तमान सरकार बनते ही पहले वर्ष में ही 12,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का निर्णय किया गया।  धनखड़ ने किसानों से अपील की कि वे भावातंर भरपाई योजना के लिए अपना पंजीकरण करवाएं। उन्होंने कहा कि प्याज व टमाटर के लिए पंजीकरण 15 फरवरी तक करवाया जा सकता है। यह पंजीकरण ऑनलाइन है इसे अटल सेवा केन्द्र या विभाग द्वरारा स्थापित मंडियों में हैल्पडैस्क से करवाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि 340 गांवों को  बागवानी गांव बनाने की प्रक्रिया की शुरूआत 21 फरवरी को गुरुग्राम से क्लस्टर घोषित किए जाएंगे।

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