चंडीगढ़ : फरीदकोट रियासत के राजा हरिंद्र सिंह बराड़ की 20 हजार करोड़ की जायदाद पर सोमवार को फैसला हो गया। राजा की बड़ी बेटी अमृत कौर और मंझली बेटी दिपिंदर कौर इस प्रॉपर्टी की 50-50 परसेंट की हिस्सेदार होंगी। दोनों बेटियां इस प्रॉपर्टी का पूरा हिस्सा मांग रही थीं।
चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 25 जुलाई 2013 को दोनों बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने का ऑर्डर पास किया था। इस ऑर्डर के खिलाफ दोनों बेटियों ने सेशंस कोर्ट में अपील कर दी थी जिसे सोमवार को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
इस प्रॉपर्टी पर राजा के भाई मंजीत इंदर सिंह बराड़ के बेटे भरत इंदर सिंह बराड़ ने भी क्लेम किया था और उनकी अपील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया।
इसके अलावा प्रॉपर्टी पर मेहरावल खेवाजी ट्रस्ट भी अपना क्लेम कर रहा था जिसकी चेयरपर्सन खुद राजा की मंझली बेटी दिपिंदर कौर थी। इस ट्रस्ट को कोर्ट ने अमान्य ठहराया और उनकी अपील भी खारिज कर दी।
हरिंदर सिंह बराड़ फरीदकोट स्टेट के अंतिम राजा थे। उनकी शादी नरिंदर कौर से हुई और उनकी तीन बेटियां अमृत कौर, दिपिंदर कौर और माहिपिंदर कौर और एक बेटा टिक्का हरमोहिंदर सिंह था।
उनके बेटे की 1981 में मौत हो गई। जिसके बाद राजा सदमे में चले गए। उन्होंने वसीयत बनाई और सारी प्रॉपर्टी की देखरेख को ट्रस्ट बनाया। इसमें दिपिंदर को चेयरमैन व माहिपिंदर कौर को वाइस-चेयरमैन बनाया। माहिपिंदर की 2001 में मौत हो गई। वसीयत में अमृत कौर को प्रॉपर्टी से बेदखल करने की बात कही क्योंकि उन्होंने मर्जी से शादी की थी।
1994 में राजा की बड़ी बेटी अमृत कौर ने महरावल खेवाजी ट्रस्ट के खिलाफ चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सिविल सूट फाइल किया। उन्होंने राजा की 1982 में बनाई वसीयत पर सवाल खड़ा किया और कहा कि ये वसीयत उनसे दबाव में बनवाई गई और उन्हें प्रॉपर्टी से बेदखल करने की बात भी सही नहीं है।अमृत कौर ने कहा था कि वह परिवार में सबसे बड़ी है और राजा की प्रॉपर्टी पर उनका हक बनता है।
निचली अदालत ने अपने फैसले में राजा हरिंद्र सिंह बराड़ द्वारा कथित रूप से बनाई गई उस वसीयत को ही अमान्य माना था, जिसमें बराड़ ने अपनी पूरी जायदाद को महरावल खेवाजी ट्रस्ट बना कर उसके हवाले कर दिया था। कोर्ट ने ट्रस्ट को भी अमान्य बताया था। अब सेशंस कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए ट्रस्ट को अमान्य बताया।
25 जुलाई 2013 को सीजेएम की कोर्ट ने राजा की प्रॉपर्टी का मालिकाना हक उनकी बड़ी बेटी राजकुमारी अमृत कौर और दूसरी बेटी महारानी दीपिंदर कौर को दिया था। लोवर कोर्ट ने राजा की 1982 की वसीयत को अवैध ठहराया था। इस वसीयत में राजा ने महरावल खेवाजी ट्रस्ट बनाकर प्रॉपर्टी इसके नाम कर दी थी। इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन महारानी दीपिंदर कौर हैं। ट्रस्ट ने इस फैसले को चुनौती दी थी। इसके बाद राजा के छोटे भाई के बेटे भरत इंदर सिंह ने भी लोवर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अदालत में अपील दायर कर कहा था कि वह भी प्रॉपर्टी के हकदार हैं।
राजा की फरीदकोट में काफी प्रॉपर्टी है। चंडीगढ़ में मनीमाजरा का किला, एक होटल साइट समेत दिल्ली और हिमाचल में काफी प्रॉपर्टी है। राजा की कुल प्रॉपर्टी 20 हजार करोड़ की बताई जा रही है।