चंडीगढ़, 29 अप्रैल: हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा जल वितरण पर दिए गए बयान को पूरी तरह से आश्चर्यजनक और तथ्यहीन करार दिया है। मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि 26 अप्रैल को उन्होंने स्वयं भगवंत मान को फोन पर बताया था कि बीबीएमबी की तकनीकी कमेटी द्वारा लिया गया पानी छोड़ने का निर्णय पंजाब में अधिकारियों द्वारा लागू नहीं किया जा रहा है, जिस पर भगवंत मान ने आश्वासन दिया था कि वे अगले दिन इसे क्रियान्वित करवा देंगे।
हालांकि, जब 27 अप्रैल तक पंजाब के अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया, तो मुख्यमंत्री सैनी ने श्री भगवंत मान को एक पत्र लिखकर इस स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने यह भी कहा कि 48 घंटे तक उनके पत्र का जवाब नहीं मिलने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री ने वीडियो जारी करके बिना तथ्यों के देश की जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया।
‘पानी का हिसाब हमेशा रखा गया है’
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया कि पंजाब का यह दावा कि बीबीएमबी ने अब तक पानी का हिसाब नहीं रखा, पूरी तरह से झूठ है। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी के पास हर एक बूंद पानी का रिकॉर्ड है, और यह रिकॉर्ड हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली की सरकारों के पास हर समय मौजूद होता है। मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि 2022, 2023 और 2024 में हरियाणा को 9000 क्यूसेक से कम पानी कभी नहीं दिया गया।
सैनी ने यह भी बताया कि बीबीएमबी द्वारा भेजे गए पानी में दिल्ली का 500 क्यूसेक, राजस्थान का 800 क्यूसेक और पंजाब का खुद का 400 क्यूसेक पानी शामिल होता है, जिससे हरियाणा को मिलने वाला पानी 6800 क्यूसेक होता है।
धान की रोपाई और पानी की आपूर्ति पर अहम जानकारी
मुख्यमंत्री सैनी ने यह भी बताया कि अप्रैल और मई में हरियाणा और पंजाब में धान की रोपाई नहीं की जाती है क्योंकि यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित है। इन महीनों में बीबीएमबी द्वारा छोड़ा गया पानी सिर्फ पीने के पानी के रूप में उपयोग किया जाता है।
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री से सवाल किया कि जब भाखड़ा डैम से पानी हरियाणा को मिलता है तो पोंग और रणजीत सागर डैम के पानी के स्तर पर क्यों बयानबाजी की जा रही है। सैनी ने यह स्पष्ट किया कि पंजाब और हरियाणा के पानी की मांग 15 दिन में बढ़ती घटती रहती है, और इसका निर्धारण एक तकनीकी कमेटी करती है।
राष्ट्रीय हित में सहयोग की अपील
मुख्यमंत्री सैनी ने अंत में कहा कि पंजाब को यह समझना चाहिए कि जल भंडारण के लिए जून से पहले जल स्तर को कम करना जरूरी होता है, ताकि मानसून में आने वाली बारिश को सही तरीके से संग्रहित किया जा सके। उन्होंने पंजाब से अपील की कि वह संकीर्ण दृष्टिकोण से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित में सहयोग करें और हरियाणा को उसका उचित जल हिस्सा सुनिश्चित करें, ताकि अंतरराज्यीय सौहार्द बढ़े और जल संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके।