चंडीगढ़/पानीपत, 26 अप्रैल 2025 : हरियाणा सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और अनूठा और प्रेरणादायक कदम उठाया है। ‘प्राण वायु देवता पेंशन योजना’ के तहत अब 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पेड़ों को भी ‘वृद्धावस्था पेंशन’ दी जाएगी। सरकार ने इस योजना को वर्ष 2025-26 के बजट में और विस्तार देने की घोषणा की है, जिससे हरियाणा की हरियाली को नई ऊर्जा मिलेगी।
पेड़ों को अब मिलेगा सम्मान और सुरक्षा
सरकार की इस योजना का उद्देश्य सिर्फ पुराने पेड़ों की देखभाल करना नहीं, बल्कि उन्हें एक जीवित पारिवारिक सदस्य की तरह मान्यता देना भी है। इस योजना में चयनित हर पेड़ के लिए ₹3,000 सालाना पेंशन दी जाएगी, जो सीधे उस जमीन के मालिक या संस्था को दी जाएगी जहाँ वह पेड़ स्थित है। इस राशि का उपयोग पेड़ की सुरक्षा, सिंचाई, पोषण और देखरेख में किया जाएगा।
आवेदन की अंतिम तारीख: 30 जून 2025
जो व्यक्ति या संस्थान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उनके लिए आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2025 शाम 5 बजे तय की गई है। आवेदन संबंधित वन रेंज ऑफिसर या वन मंडल अधिकारी के कार्यालय में किया जा सकता है। तय समय के बाद प्राप्त आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
कौन से पेड़ होंगे पात्र?
पेड़ की उम्र 75 साल या उससे अधिक होनी चाहिए। पीपल, बरगद, आम, जामुन, नीम जैसे छायादार और पारंपरिक प्रजातियों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिला स्तर पर एक कमेटी इन पेड़ों का निरीक्षण और चयन करेगी।
चयन समिति में शामिल होंगे:
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चेयरमैन: डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर
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सदस्य: उपायुक्त, पंचायत या नगर निकाय प्रतिनिधि, बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सदस्य
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सेक्रेटरी: संबंधित वन रेंज अधिकारी
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज:
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भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र
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पेड़ की उम्र का प्रमाण या शपथ पत्र
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पहचान पत्र (आधार / वोटर ID)
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पेड़ की स्पष्ट फोटो
पानीपत से मिसाल, और जिलों में भी बढ़ेगी संख्या
पानीपत जिले में पहले ही 58 पेड़ों को इस योजना में शामिल किया जा चुका है, जिसमें समालखा रेंज से 17 पेड़ हैं। वर्ष 2021 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 75 पेड़ों को चुना गया था और उनके मालिकों को ₹2,750 सालाना पेंशन दी गई थी। इस बार पेंशन राशि को ₹3,000 तक बढ़ाया गया है और भविष्य में इसमें और बढ़ोतरी की जाएगी।
हरियाणा सरकार का हरियाली को सलाम
जहां एक ओर जंगलों की कटाई बढ़ रही है, वहीं हरियाणा सरकार पेड़ों को ‘परिवार का बुजुर्ग’ मानकर उन्हें सम्मान दे रही है। यह सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि पर्यावरण के प्रति सोच बदलने का प्रयास है।