नई दिल्ली,01 मार्च : दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। राजधानी में 15 साल पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों को 1 अप्रैल से ईंधन नहीं मिलेगा। इस फैसले को लागू करने के लिए विशेष टीम का गठन किया जाएगा, जो ऐसे वाहनों की पहचान करेगी और उन्हें ईंधन आपूर्ति से वंचित करेगी।
शनिवार को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पर्यावरण विभाग, एमसीडी और एनडीएमसी के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद इस फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए थे, लेकिन अब दिल्ली सरकार इस समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
प्रदूषण रोकने के लिए सरकार के कड़े फैसले:
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें शामिल हैं:
✔ 15 साल पुराने वाहनों को 1 अप्रैल से पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा।
✔ हैवी व्हीकल्स की एंट्री पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
✔ हाई-राइज बिल्डिंग्स और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा।
✔ खाली जमीनों पर जंगल विकसित किए जाएंगे।
✔ यूनिवर्सिटी के छात्रों को वृक्षारोपण अभियान से जोड़ा जाएगा।
✔ बड़े औद्योगिक संस्थानों को प्रदूषण कम करने के लिए नए गैजेट लगाने के निर्देश दिए जाएंगे।
पर्यावरण मंत्री सिरसा ने कहा कि दिल्ली में व्हीकल और कंस्ट्रक्शन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। “हमारी सरकार का एक ही लक्ष्य है—जो प्रदूषण कर रहा है, समाधान भी वही देगा।”
पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योजना:
सरकार ने दिल्ली में खाली पड़ी जमीनों पर जंगल तैयार करने की योजना बनाई है, जिससे हवा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके। इसके अलावा, क्लाउड सीडिंग तकनीक पर भी काम किया जाएगा, ताकि कृत्रिम बारिश के जरिए वायु प्रदूषण को कम किया जा सके।
नई हाई-राइज बिल्डिंग्स के लिए भी कड़े नियम लागू होंगे। सरकार ने सभी औद्योगिक इकाइयों और बड़े व्यावसायिक संगठनों को निर्देश दिया है कि वे प्रदूषण कम करने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करें।
सख्ती से लागू होगा नया नियम
दिल्ली सरकार की नई योजना के तहत, अप्रैल से 15 साल पुराने वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं मिलेगा। सरकार इस फैसले को सख्ती से लागू करने के लिए विशेष निगरानी टीमें गठित करेगी।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि दिल्ली का अपना प्रदूषण 50% से अधिक है, और इसे नियंत्रित करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “जब हम अपने राज्य का प्रदूषण कम करेंगे, तभी अन्य राज्यों से भी सहयोग की उम्मीद कर सकते हैं।”