चंडीगढ़। पंजाब में किसानों के आंदोलन ने राज्य की सियासत और समाज को हिला कर रख दिया है। सोमवार को हुए 9 घंटे के ‘पंजाब बंद’ ने राज्य की रफ्तार थाम दी। यह बंद किसान मजदूर मोर्चा (KKM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) गैर-राजनीतिक के आह्वान पर हुआ। किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डालते हुए अपनी मांगों के प्रति जोरदार समर्थन जताया।
किसान आंदोलन और पंजाब बंद का असर
पंजाब के 12 जिलों में इस बंद का व्यापक असर देखा गया। किसानों के आंदोलन ने सड़क परिवहन, रेलवे और व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया। वंदेभारत सहित 172 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा, जबकि 232 ट्रेनें विलंबित हुईं। उद्योग और दुकानें बंद रहने से आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ा।
किसानों का कहना है कि उनकी समस्याओं को हल करने में सरकार विफल रही है। उनका यह आंदोलन केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए है, ताकि कृषि संकट और उनकी अन्य मांगों का समाधान निकाला जा सके।
डल्लेवाल का अनशन और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 36वें दिन भी जारी है। उन्होंने इलाज कराने से इनकार कर दिया है, जिससे उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को फटकार लगाई और डल्लेवाल को इलाज के लिए मनाने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल का गठन किया है, जो मंगलवार को किसानों के साथ वर्चुअल बैठक करेगा। पैनल का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को सुनना और उनके आंदोलन के प्रभाव को कम करने के सुझाव देना है।
सुप्रीम कोर्ट का पैनल किसानों से बातचीत करेगा, जिसमें उनकी प्रमुख मांगें शामिल हैं:
1. कृषि संकट का समाधान।
2. आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेना।
3. MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर ठोस नीति।
4. शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों की ट्रैक्टर-ट्रॉली हटाने का सुझाव।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस बातचीत में किसानों को विश्वास में लेना जरूरी है और यह सुनिश्चित करना होगा कि आंदोलन शांतिपूर्ण और गैर-राजनीतिक रहे।
आंदोलन का असर और अगला कदम
किसान आंदोलन ने पंजाब की आर्थिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है। राज्य की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था बाधित है, और व्यापार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
डल्लेवाल के अनशन और सुप्रीम कोर्ट पैनल की बातचीत से आंदोलन के भविष्य पर फैसला होगा। अगर सरकार और किसानों के बीच समझौता होता है, तो यह संकट टल सकता है। लेकिन अगर वार्ता असफल रहती है, तो आंदोलन और तेज होने की संभावना है।