चंडीगढ़, 27 दिसंबर – हरियाणा की नई विधानसभा के निर्माण के लिए चंडीगढ़ में प्रस्तावित 10 एकड़ जमीन के हस्तांतरण पर विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। पंजाब के नेताओं और संगठनों के विरोध के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले पर सतर्क रुख अपनाया है।
इस विवाद का केंद्र 10 एकड़ जमीन है, जो चंडीगढ़ प्रशासन हरियाणा को नई विधानसभा भवन के निर्माण के लिए हस्तांतरित करना चाहता है। जुलाई 2022 में जयपुर में हुई एनजेडसी (नॉर्थ जोनल काउंसिल) बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इसके बदले, हरियाणा ने पंचकूला के पास मनसा देवी कॉम्प्लेक्स क्षेत्र की 12 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव दिया था।
विवाद के मुख्य बिंदु
1. पंजाब का विरोध
पंजाब के राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने चंडीगढ़ में हरियाणा को जमीन देने का कड़ा विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को कमजोर करता है। उन्होंने केंद्र से अपील की है कि इस पर कोई भी निर्णय लेने से पहले व्यापक चर्चा हो।
2. चंडीगढ़ मास्टर प्लान की अड़चनें
चंडीगढ़ मास्टर प्लान-2031 के अनुसार, प्रस्तावित जमीन हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आरक्षित है। चंडीगढ़ प्रशासन के शहरी योजना विभाग ने इस भूमि हस्तांतरण पर आपत्ति जताई है। इसके अलावा, हरियाणा द्वारा प्रस्तावित भूमि में प्राकृतिक ड्रेन मौजूद है, जो निर्माण कार्य को मुश्किल बना सकता है।
3. गृह मंत्रालय की चिंता
गृह मंत्रालय ने आशंका जताई है कि इस विवाद का उपयोग राजनीतिक और धार्मिक संगठनों द्वारा जनभावनाओं को भड़काने के लिए किया जा सकता है। मंत्रालय ने चंडीगढ़ प्रशासन को इस मामले में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
अमित शाह की भूमिका और हरियाणा सरकार का रुख
अमित शाह की कार्यशैली को लेकर कहा जाता है कि वह अपने निर्णयों पर अडिग रहते हैं। उन्होंने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद पूरी प्रक्रिया की शुरुआत करवाई थी। हरियाणा सरकार भी इस जमीन के लिए 550 करोड़ रुपये तक देने को तैयार थी।
पंजाब-हरियाणा विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ
चंडीगढ़ का मुद्दा लंबे समय से पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद का कारण रहा है। 1966 में पंजाब पुनर्गठन के बाद से ही दोनों राज्यों ने चंडीगढ़ पर अपना दावा किया है। यह मुद्दा न केवल प्रशासनिक, बल्कि भावनात्मक और राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है।