चण्डीगढ़, 16 दिसम्बर(गर्ग) – हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने हरियाणा हाउसिंग बोर्ड को एक आवंटी की मृत्यु के बाद संपत्ति से संबंधित रिफंड की प्रक्रिया में हुई अनुचित देरी और उत्पीड़न के कारण 5,000 रुपये का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। यह आदेश आयोग के मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता द्वारा जारी किया गया।
घटना में शिकायतकर्ता भूपिंदर शर्मा ने बताया कि उनका मृतक पिता के नाम पर आवंटित एक फ्लैट था। जब उन्होंने हाउसिंग बोर्ड से रिफंड की प्रक्रिया शुरू करने का आवेदन किया, तो बोर्ड ने उनका आवेदन स्वीकारने के बजाय उन्हें यह निर्देश दिया कि पहले रद्द किए गए फ्लैट को अपने नाम पर स्थानांतरित करें। इसके बाद, भूपिंदर शर्मा ने निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए आवेदन किया, लेकिन बोर्ड ने समय पर आवश्यक सेवा नहीं दी।
जब शिकायतकर्ता को प्रक्रिया में हो रही देरी के कारण परेशानी का सामना हुआ, तो उन्होंने हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग से मदद की गुहार लगाई। आयोग ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा की गई देरी और उत्पीड़न के कारण भूपिंदर शर्मा को मानसिक और भौतिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि हाउसिंग बोर्ड की कार्रवाई अनुचित थी और इसके लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए। आयोग ने हाउसिंग बोर्ड को 5,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही, आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि हाउसिंग बोर्ड में हुई देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से मुआवजा राशि वसूली जाए।
आयोग ने बोर्ड को यह भी आदेश दिया कि संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे आयोग को सूचित किया जाए। इसके अतिरिक्त, आयोग ने चेतावनी दी कि यदि हाउसिंग बोर्ड ने भविष्य में और देरी की, तो इसके खिलाफ अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।