नई दिल्ली,13 दिसम्बर 2024,(गर्ग) : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार, 13 दिसंबर, को राज्यसभा में तीखी बहस और विवाद देखने को मिला। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने विपक्ष पर कड़ा प्रहार करते हुए स्पष्ट रूप से कहा, “मैं देश के लिए मर जाऊंगा, लेकिन झुकूंगा नहीं।” उनके इस बयान ने सदन का माहौल और गरमा दिया।
किसानों के बेटे की मजबूत आवाज
धनखड़ ने विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया कि वे सदन की गरिमा का बार-बार उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं किसान का बेटा हूं और कभी कमजोरी नहीं दिखाऊंगा। आज का किसान केवल खेतों तक सीमित नहीं है, वह सरकारी नौकरियों, उद्योगों और अन्य क्षेत्रों में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।” उनका यह बयान विपक्ष पर सीधा हमला माना जा रहा है।
मल्लिकार्जुन खड़गे से तीखी नोक-झोंक
सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने धनखड़ के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “मैं भी मजदूर का बेटा हूं।” इस टिप्पणी ने बहस को और अधिक तीखा बना दिया। खड़गे और धनखड़ के बीच इस नोक-झोंक के बाद सभापति ने कहा कि वे संविधान के तहत अपने दायित्वों का पालन करते हुए सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे खड़गे से व्यक्तिगत रूप से बात करने को तैयार हैं, लेकिन यह चर्चा सदन के बाहर नहीं होगी।
संविधान और देशहित की प्रतिबद्धता
जगदीप धनखड़ ने संविधान और देशहित के प्रति अपनी निष्ठा दोहराते हुए कहा कि वे संविधान की रक्षा के लिए दृढ़ हैं। उन्होंने विपक्ष को चेताया कि संविधान का उल्लंघन किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा। धनखड़ ने कहा, “मैं हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हूं, लेकिन संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचाना स्वीकार्य नहीं है। मेरा कर्तव्य है कि मैं पूरी ईमानदारी से अपने काम को अंजाम दूं।”