हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन नई उग्रता के साथ जारी है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसान मंगलवार को भूख हड़ताल करेंगे। इस दौरान मोर्चे पर लंगर नहीं बनाया जाएगा, और गांवों से भी लंगर लाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
डल्लेवाल, जो पिछले 15 दिनों से आमरण अनशन पर हैं, की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। किसानों की आज की मीटिंग में दिल्ली कूच की तारीख का ऐलान होने की संभावना है।
डल्लेवाल की बिगड़ती तबीयत
डॉक्टरों के मुताबिक, डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर 124/95, शुगर 93 और पल्स 87 है। उनका वजन 11 किलो तक घट चुका है, और किडनी व लीवर पर भी असर हो रहा है। उन्होंने कहा है कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक एमएसपी गारंटी कानून लागू नहीं हो जाता।
डल्लेवाल से मिलने पहुंचे उनके रिश्तेदार भावुक हो गए। डल्लेवाल खुद भी भावुक नजर आए। उनकी यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
11 दिसंबर को होगी अरदास
डल्लेवाल की सेहत में सुधार के लिए 11 दिसंबर को सभी गांवों में धार्मिक स्थलों पर अरदास का आयोजन किया जाएगा। किसानों ने मंच से लोगों से अधिक संख्या में मोर्चे पर पहुंचने की अपील की है ताकि आंदोलन को तेज किया जा सके।
दिल्ली कूच की कोशिशें और संघर्ष
किसानों ने अब तक दो बार दिल्ली कूच का प्रयास किया, लेकिन हर बार पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
6 दिसंबर: ढाई घंटे का संघर्ष
6 दिसंबर को किसानों ने शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच का ऐलान किया। पुलिस ने तीन लेयर की बैरिकेडिंग, कंटीले तार और कीलों के जरिए सुरक्षा घेरे बनाए। किसानों ने इन्हें तोड़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने आंसू गैस और पेपर स्प्रे का इस्तेमाल किया। इस संघर्ष में 8 किसान घायल हो गए।
8 दिसंबर: चार घंटे की जद्दोजहद
8 दिसंबर को किसानों ने दूसरी बार दिल्ली कूच की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने बैरिकेडिंग तोड़ने पर आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इस संघर्ष में भी 8 किसान घायल हुए। पुलिस और किसानों के बीच करीब 4 घंटे तक संघर्ष चला, लेकिन आखिरकार किसानों को वापस लौटना पड़ा।
पुलिस अलर्ट पर
खनौरी बॉर्डर पर पंजाब पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। पटियाला रेंज के डीआईजी मनदीप सिद्धू ने सोमवार को डल्लेवाल से मुलाकात की।
आंदोलन में तेजी की तैयारी
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की मीटिंग के बाद अगले कदम का फैसला होगा। किसानों ने लोगों से अधिक से अधिक संख्या में धरने में शामिल होने की अपील की है।
यह आंदोलन अब आर-पार की लड़ाई बन चुका है। किसान एमएसपी गारंटी के बिना पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।