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किसानों का दिल्ली कूच: एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए फिर तैयार आंदोलन

चंडीगढ़, 8 दिसंबर 2024: केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर किसानों का विरोध एक बार फिर तेज हो गया है। शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार को घोषणा की कि किसानों का एक जत्था रविवार, 8 दिसंबर को दिल्ली के लिए मार्च करेगा।

पंढेर का बयान: “शांतिपूर्ण रहेगा आंदोलन”

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमारे साथ बर्बरता क्यों की जा रही है? हमारी भूख हड़ताल 12वें दिन में प्रवेश कर गई है। केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई वार्ता का निमंत्रण नहीं आया है। ऐसे में 101 किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे दिल्ली के लिए शांतिपूर्ण तरीके से रवाना होगा। हमारा विरोध नियमों के दायरे में रहेगा।”

घटनाक्रम: 16 किसान घायल, एक की सुनने की क्षमता खोई

पंजाब-हरियाणा सीमा पर शुक्रवार को किसानों और सुरक्षा बलों के बीच तनावपूर्ण झड़प हुई। हरियाणा पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें 16 किसान घायल हो गए। एक किसान की सुनने की क्षमता खत्म हो गई है, जबकि चार गंभीर रूप से घायल किसानों को अभी भी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

बहुस्तरीय बैरिकेडिंग और सुरक्षात्मक उपाय

दिल्ली-हरियाणा शंभू सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया गया है। बहुस्तरीय बैरिकेडिंग, कील वाले ब्रेकर, और भारी पुलिस बल तैनात किए गए हैं। शुक्रवार को किसानों ने अवरोधक पार करने की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया गया।

पहले स्थगित किया गया था मार्च

शुक्रवार को हुई हिंसा और झड़प के बाद किसानों ने अपने मार्च को स्थगित कर दिया था। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

किसानों की मुख्य मांगें

किसानों का कहना है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के बिना उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। इसके अलावा, वे अन्य कृषि मुद्दों पर केंद्र सरकार से बातचीत चाहते हैं।

 

केंद्र सरकार पर सवाल

सरवन सिंह पंढेर ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा, “सरकार क्यों डर रही है? जब किसान शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके पास कोई ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं है, तो उन्हें रोका क्यों जा रहा है? यह भाजपा सरकार का असली चेहरा दिखाता है।”

 

आगे की रणनीति

संयुक्त किसान मोर्चा के तहत विभिन्न किसान संगठनों ने फैसला किया है कि वे अपने अधिकारों की लड़ाई को तेज करेंगे। रविवार का दिल्ली मार्च उनकी मांगों को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का अगला प्रयास होगा।

 

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