अंबाला के शंभू व जींद में दाता सिंह वाला बॉर्डर में धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बुधवार को बिना ट्रैक्टर व ट्रॉलियों के ही दिल्ली कूच का आह्वान किया था। इस वजह से जिले में टटियाना व संगतपुरा में पूरा दिन कड़ी सुरक्षा रही। किसानों का गुहला से भी बसों के माध्यम से पहुंचने का अनुमान था, लेकिन वे नहीं पहुंचे। ऐसे में प्रशासन ने थोड़ी राहत की सांस ली।
हरियाणा-पंजाब सीमा पर टटियाना बॉर्डर पर लगाए गए नाके के 23 वें दिन आईटीबीपी व पुलिसकर्मी ज्यों के त्यों डटे रहे। पहले की तरह ही बॉर्डर पर पुलिस बल व अर्धसैनिक बलों की टुकडि़यां तैनात रहीं। पत्थर मार्केट के नाम से भी चीका शहर की पहचान है। व्यापारी ईश्वर चंद, हरजीत सीड़ा सुखपाल सिंह सौरभ गुप्ता ने बताया कि बुधवार को 23वां दिन है और रास्ते बंद हैं। उन्होंने बताया कि जहां पत्थर मार्केट में एक भी ग्राहक दिखाई नहीं देता, उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि व्यापारी वर्ग सरकार को टैक्स देते हैं, जिससे सरकार का खजाना भरा रहता है। इसलिए टटियाना बॉर्डर का रास्ता खोला जाए।
वहीं, बॉर्डर पर माहौल शांतिपूर्ण होने की स्थिति में स्थानीय लोगों ने टटियाना बाॅर्डर पर एंबुलेंस व अन्य छोटे वाहनों के निकलने के लिए तो वैकल्पिक रास्ता बनाने की मांग की है। हरदीप सिंह, कमलजीत सिंह, अवतार सिंह, रिंकू प्रकाश मुकेश कुमार नरेश कुमार लोगों ने बताया कि बार्डर पर पिछले 23 दिनों से पूरी तरह से शांति होने और लोगों की ओर से बार-बार बाॅर्डर खोलने की मांग के बावजूद बार्डर ना खोलना ठीक नहीं है। इस पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। लोगों ने मांग की है कि टटियाना बाॅर्डर पर कम से कम एंबुलेंस आदि व अन्य छोटे वाहनों के निकलने के लिए तो वैकल्पिक रास्ता बनाया जाए।
राहगीर शमशेर सिंह, गुरतेज सिंह, कुलविंद्र कौर, अनीता रानी, परविंद्र कौर, मंगल सिंह, बिट्टू व रामप्रसाद ने बताया कि जब 23 दिनों से हरियाणा-पंजाब सीमा पर लगाए गए नाका को पार करने के लिए कोई भी किसान नहीं आया तो फिर नाका खोल देना चाहिए। परेशान लोग चीका से घग्गर नदी पर लगे नाका तक जाने के लिए ऑटो लेते हैं, फिर एक किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर बॉर्डर पंजाब की तरफ पार करना पड़ता है।