ईओवर बनाया जाना है। इससे पहले ही लोगों ने इसके डिजाइन पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। कई गांवों की ग्राम पंचायतों ने छप्पर से अंबाला की तरफ फ्लाईओवर की लंबाई बढ़ाने की मांग रखी है। क्योंकि लंबाई बढ़ने से ही अधोया की तरफ से आने वाले वाहनों के लिए अंडरपास बन सकता है। फ्लाईओवर ब्रिज के डिजाइन को लेकर बुधवार को लघु सचिवालय में डीसी कैप्टन मनोज कुमार की अध्यक्षता में बैठक होनी थी जो किसी कारणवश रद्द हो गई। लोगों ने छप्पर से अधोया मोड़ तक फ्लाईओवर बनाने की मांग की है।
एनएच-344 के दोनों तरफ जितने भी गांव हैं, वहां के लोगों के पास हाईवे को पार करने के लिए कोई अंडरपास नहीं है। अंडरपास का न होना ही हाईवे पर हादसों की सबसे बड़ी वजह बन रहा है। कई जगह तो सड़क के सामने हाईवे के डिवाइडर में कट ही नहीं है। इस कारण लोग गलत दिशा में वाहन चलाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। छप्पर में भी इसी वजह से हादसे हो रहे हैं। छप्पर चौक पर 500 मीटर अंबाला और 500 मीटर जगाधरी की तरफ फ्लाईओवर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया की तरफ से बनाया जाना है। फ्लाईओवर बनने से सरस्वतीनगर व पाबनी की तरफ से आने-जाने वाले लोगों के साथ हादसे नहीं होंगे। विदित हो कि छप्पर चौक पर पांच साल में 31 हादसों में 28 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 32 घायल हो चुके हैं। दूसरा फ्लाईओवर करेहड़ा खुर्द चौक पर बनना है जहां 42 हादसों में 14 की मौत हुई है व 49 घायल हुए हैं। दोनों फ्लाईओवर पर 35 से 40 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है।