स्वामी इंद्रवेश विद्यापीठ आश्रम टिटोली में सोमवार को महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती के 200वें जन्म जयंती वर्ष के उपलक्ष्य एवं दक्षिण अफ्रीका से भारत पहुंचे प्रतिनिधि मंडल के सम्मान में यज्ञ एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी आर्यवेश ने यज्ञ करवा कर किया ।
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद की शिक्षाओं को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। महर्षि दयानंद ने सत्य का पालन किया जिसके लिए साहस की आवश्यकता होती है। उन्हें जीवन में 17 बार जहर भी पीना पड़ा ऐसा विश्व में उदाहरण मिलना मुश्किल है। उन्होंने राष्ट्रवाद की अवधारणा को परिभाषित किया।
स्वामी से प्रेरणा लेकर हजारों नौजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि आज बढ़ता पाखंड अंधविश्वास समाज के लिए चुनौती है। आर्य समाज को इस चुनौती को स्वीकार करना है। महर्षि दयानंद ने तर्क की कसौटी पर हर चीज को परखा और लोगों के सोचने की दिशा ही बदल डाली है। आर्य प्रतिनिधि सभा दक्षिण अफ्रीका के कोषाध्यक्ष प्रबोध वेदालंकार ने कहा कि महर्षि दयानंद ने नारी शिक्षा व वेदों के पठन पाठन पर जोर दिया। आर्य समाज के प्रसिद्ध विद्वान पंडित नरदेव वेदालंकार ने दक्षिण अफ्रीका में आर्य समाज के प्रचार प्रसार तथा नारी शिक्षा, हिंदी शिक्षा एवं संस्कारों निर्माण अभियान को मजबूती प्रदान की।