चरखी दादरी। एक कहवात है, पूत के पांव पालने में दिखाई देते हैं. ऐसे में इस कहावत को चरित्रार्थ कर दिखाया है चरखी दादरी के लाल मोहित सांगवान ने. पहले पड़दादा, दादा, पिता और अब मोहित ने सेना में परंपरा को बढ़ाते हुए सेना में अपनी प्रतिभा दिखाते हुए बड़ी उपलब्धि हासिल की है. 75वें गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना के 80 जवानों को वीरता पुरस्कार देने की मंजूरी दी है, जिसमें दादरी के गांव डोहकी निवासी मेजर मोहित सांगवान भी शामिल है। बेटा मोहित सांगवन को सेना का सर्वोच्च वीरता मेडल मिलने की खुशी में परिजनों ने ग्रामीणों संग मिलकर जहां खुशियां मनाई वहीं बेटा को देश का गौरव बताया। फौज में कई सफल आप्रेशनों में वीरता दिखाने वाले मोहित सांगवान के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है।
चरखी दादरी के गांव डोहकी में मेजर मोहित सांगवान को सेना का सर्वोच्च मेडल मिलने की घोषणा के बाद परिजनों व ग्रामीणों ने खुशियां मनाई। ग्रामीणों ने कहा कि सेना जवानों के नाम से विख्यात डोहकी गांव में सेना सर्वोच्च मेडल पाने वाले मोहित सांगवान ने गांव का रिकार्ड बना दिया। मेजर मोहित सांगवान अपने दिवंगत पड़दादा, दादा नेतराम सांगवान, पिता विजेंदर सिंह से प्रेरणा लेते हुए वर्ष 2014 में सेना में कमीशन लेते हुए लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए और अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने की उनकी आकांक्षा को प्रेरित किया। मोहति ने प्रारंभिक शिक्षा गांव में की और बाद में आर्मी स्कूल में चले गए थे। मोहित ने सेना में उत्तर-पूर्व क्षेत्र के चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई सफल ऑपरेशनों में नेतृत्व व कौशल के साथ-साथ अटूट साहस का प्रदर्शन किया। यहीं कारण है कि उसे सेना का वीरता मेडल की घोषणा हुई है।