गांव पांडु पिंडारा स्थित पिंड तारक तीर्थ में वीरवार सुबह पौष अमावस्या के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। मान्यता है कि पौष अमावस्या पर इस तीर्थ में स्नान करने तथा पिंड दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है तथा उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। इसलिए हजारों श्रद्धालुओं ने सुबह कड़कड़ाती ठंड के बावजूद इस तीर्थ में डुबकी लगाई। पौष अमावस्या के समय यहां पिंड दान करने से जहां पितरों को शांति मिलती है, वहीं यह सुख एवं समृद्धि भी लाती है। इसके अलावा यहां स्नान से काल सर्प दोष भी दूर किया जा सकता है। कुशा घास की अंगूठी पहन कर श्राद्ध कर्म करना बहुत ही उपयोगी होता है। दान व स्नान से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है।