हर साल धान की कटाई के बाद अचानक हरियाणा-पंजाब और देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है। जिसका मुख्य कारण धान की फसल कटाई के बाद उसके बचे अवशेषों को जलाया जाना माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकार पराली नहीं जलाने वाले किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब 1000 रुपए से देती है। सरकार ने यह योजना परली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए शुरु की है।
वहीं करनाल जिले की बात करें तो यहां के किसानों के सामने फसल अवशेषों का निपटान करना बड़ी चुनौती बना हुआ था। पराली का निपटाने के लिए किसान पराली में आग लगा देते थे। जिससे वायु प्रदूषण फैल जाता था. लेकिन सरकार द्वारा फसल अवशेषों का निपटाने के उपायों से किसानों ने राहत की सांस ली है। पराली की गांठे बनवाकर फसल अवशेषों के निपटान की इस योजना का आज लगभग करनाल से सभी किसान फायदा उठा रहे हैं।
किसान दीपक ने कहा पराली के गठ्ठे बनाना सही है, प्रदूषण भी नहीं फैलता, इससे कोई परेशानी नहीं होती। वहीं अगर कोई किसान खुद से ही पराली की गांठे या अन्य किसी तरह से पराली का निपटान करता है तो एक हजार रुपए देने की भी देती है। इसके साथ ही किसान अगर खुद पराली की गांठे बनवाकर उसे बेचना चाहता है तो वह यह कर भी लाभ कमा सकता है।