आज के समय में माता पिता के लिए अपने बच्चो की शिक्षा और उनका करियर सबसे बड़ी चिंता का विषय है , लेकिन अक्सर देखने में आया है कि बच्चों पर निरंतर गौर रखने और उनकी पढाई का विशेष ध्यान के रखने के बावजूद भी बच्चे आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाते! ऐसे में आपको जरूरत है तो इस विशेह रिपोर्ट पर ध्यान देने की!
प्राचीन समय में गुरुकुल हुआ करते थे तथा ब्राह्मण का कार्य शिक्षा प्रदान करना था , विद्यार्थी आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे , लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है, वर्तमान समय में तो शिक्षा का स्वरुप बहुत बदल गया है! आज अच्छी आजीविका पाने के लिए अच्छी शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक समझा जाता है! आज के समय की मांग व क्षमतानुसार तथा मानसिकता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करानी चाहिए जो आगे चलकर जीवन निर्वाह व राष्ट्र की प्रगति के लिए सहायक सिद्ध हो सके! आधुनिक समय में बच्चा शिक्षा कुछ पाता है और आगे चलकर व्यवसाय कुछ कुछ ओर करता है ! ज्योतिष्य गणना के आधार पर बच्चे की शिक्षा के क्षेत्र में सहायता की जा सकती है , शिक्षा किस क्षेत्र में प्राप्त करने के लिए कुंडली के अनुसार शिक्षा से जुड़े भावों पर विचार करना आवश्यक है, जिससे की उसी क्षेत्र में सफलता मिल सके I कुण्डली के दूसरे, चतुर्थ तथा पंचम भाव से शिक्षा का प्रत्यक्ष रुप में संबंध होता है I इन भावों पर विस्तार से विचार करके ही शिक्षा क्षेत्र को चुने ताकि सफलता प्राप्त हो सके I द्वितीय भाव को कुटुम्ब भाव भी कहते हैं I बच्चा पांच वर्ष तक के सभी संस्कार अपने परिवारिक वातावरण से पाता है I पांच वर्ष तक जो संस्कार बच्चे के पड़ जाते हैं, वही अगले जीवन का आधार बनते हैं I इसलिए दूसरे भाव से परिवार से मिली शिक्षा अथवा संस्कारों का पता चलता है I इसी भाव से पारीवारिक वातावरण के बारे में भी पता चलता है I बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में इस भाव की मुख्य भूमिका है I जिन्हें बचपन में औपचारिक रुप से शिक्षा नहीं मिल पाती है, वह भी जीवन में सफलता इसी भाव से पाते हैं I इस प्रकार बच्चे के आरंभिक संस्कार दूसरे भाव से देखे जाते हैं I चतुर्थ भाव कुण्डली का सुख भाव भी कहलाता है I आरम्भिक शिक्षा के बाद स्कूल की पढा़ई का स्तर इस भाव से देखा जाता है I इस भाव के आधार पर ज्योतिषी भी बच्चे की शिक्षा का स्तर बताने में सक्षम होता है I वह बच्चे का मार्गदर्शन, विषय चुनने में कर सकता है I चतुर्थ भाव से उस शिक्षा की नींव का आरम्भ माना जाता है, जिस पर भविष्य की आजीविका टिकी होती है अक्षर के ज्ञान से लेकर स्कूल तक की शिक्षा का आंकलन इस भाव से किया जाता है I पंचम भाव को शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भाव माना गया है I इस भाव से मिलने वाली शिक्षा आजीविका में सहयोगी होती है I वह शिक्षा जो नौकरी करने या व्यवसाय करने के लिए उपयोगी मानी जाती है, उस पर विचार पंचम भाव से किया जाता है I आजीविका के लिए सही विषयों के चुनाव में इस भाव महत्वपूर्ण भूमिका है I शिक्षा प्रदान करने वाले ग्रह बुध को बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है I गुरु ग्रह को ज्ञान व गणित का कारक ग्रह माना गया है जिस बच्चे की कुंडली में गुरु अच्छी स्थिति में हो उसका गणित अच्छा होता है I बच्चे की कुण्डली में बुध तथा गुरु दोनों अच्छी स्थिति में है तो शिक्षा का स्तर भी अच्छा होगा I इन दोनों ग्रहों का संबंध केन्द्र या त्रिकोण भाव से है तब भी शिक्षा क स्तर अच्छा होगा I इसके आलावा कुंडली में पंचमेश की स्थिति क्या है, इस पर भी विचार करना अति आवश्यक होता है I इस के अतिरिक वर्ग कुण्डलियों से शिक्षा से जुडे़ भाव तथा ग्रहों का विचार करना भी आवश्यक है लेकिन इन भावों के स्वामी और शिक्षा से जुडे़ ग्रहों की वर्ग कुण्डलियों में स्थिति कैसी है, इसका पर विशेष आंकलन करना बहुत आवश्यक है I कई बार जन्म कुण्डली में सारी स्थिति बहुत अच्छी होती है, लेकिन फिर भी शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं होता है , क्योंकि वर्ग कुण्डलियों में संबंधित भाव तथा ग्रह कमजोर अवस्था में स्थित हो सकते हैं I शिक्षा के लिए नवाँश कुण्डली तथा चतुर्विंशांश कुण्डली का विचार अवश्य करना चाहिए I जन्म कुण्डली के पंचमेश की स्थिति इन वर्ग कुण्डलियों में देखने से शिक्षा स्तर का आंकलन किया जा सकता है I चतुर्विशांश कुण्डली को वर्ग – 24 भी कहा जाता है I इस में किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित रहता है , तथा कुंडली विद्या के सम्बन्धित ग्रहों के उपाय करके भी कुछ समाधान किया जा सकता है I
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