हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य के पुनर्निर्माण के लिए केंद्र से 8,000 करोड़ रुपए की सहायता मांगी है। बता दें कि, हिमाचल ने 1953 के बाद से जुलाई में राज्य में सबसे अधिक वर्षा के कारण बड़े पैमाने पर तबाही का सामना किया है, इसके लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने 2,000 करोड़ की राहत फ़ौरन मांगी है।
उन्होंने कहा कि, यदि पैसा समय पर आ जाता है, तो भी राज्य सरकार को पुनर्निर्माण में कम से कम दो साल लगेंगे। सुक्खू ने पिछले चार दिनों में नई दिल्ली में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और उन्हें राज्य में “मानव और संपत्ति” के नुकसान से अवगत कराया। सुक्खू ने मीडिया बात करते हुए कहा, “मेरी बैठकें बहुत संतोषजनक रहीं और हमें राहत राशि की पहली किस्त जल्द मिलने की उम्मीद है।”
रिपोर्ट के अनुसार,हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कृषि क्षेत्रों और बगीचों सहित लोगों की संपत्ति को हुए नुकसान को “बड़े पैमाने पर” हुआ नुकसान बताते हुए कहा कि केंद्रीय टीम ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। मुझे उम्मीद है कि केंद्र तेजी से पैसा जारी करेगा। मैंने पहले अमित शाह जी से बात की थी और हमें 180 करोड़ रुपए मिले, जो दिसंबर में राज्य को देय राज्य आपदा राहत कोष से अग्रिम भुगतान है। पैसा राज्य का अधिकार था। अब, हम सहायता मांग रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि राज्य को अब तक केंद्र से कोई ”अंतरिम” राहत नहीं मिली है। सीएम ने केंद्र से तुरंत अंतरिम राहत जारी करने का आग्रह किया।
सीएम ने कहा कि उन्होंने गडकरी से शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग के भूस्खलन संभावित हिस्सों से बचने के लिए सुरंग बनाने का अनुरोध किया, ताकि भारत-चीन सीमा का महत्वपूर्ण लिंक बिना किसी रुकावट के काम कर सके। उन्होंने कहा कि, ‘यह हिमाचल की सबसे महत्वपूर्ण सड़क है और इसका बार-बार बंद होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छा नहीं है। हमने सड़क परिवहन मंत्री से ढलान की कटाई को कम करने के लिए, जहां भी संभव हो, सुरंगों का निर्माण करने का आग्रह किया है। सुरंगें यात्रा के समय को कम करती हैं और पारिस्थितिकी के लिए भी कम हानिकारक हैं।” हालाँकि, इस बारिश के मौसम में सुरंग का काम तो शुरू नहीं किया जा सकता।