उत्तरप्रदेश डेस्क- उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज से अपनी दूसरी पारी की शुरुआत कर दी है, लेकिन, इस बार उनकी कैबिनेट की तस्वीर काफी बदली हुई है। मंत्रिपरिषद के गठन में जातीय समीकरण का संतुलन बनाने के साथ ही हर वर्ग का ध्यान रखा गया है। बता दें, उत्तर प्रदेश सरकार के नए मंत्रिमंडल में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ दो डिप्टी सीएम और 50 विधायकों को मंत्री पद दिया गया है। जिसमें कैबिनेट मंत्री, मंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्री बनाया गया है। लेकिन, इन मंत्रियों में कुछ ऐसे भी चेहरे है जिनके मंत्री बनने की किसी ने उम्मीद नहीं लगाई होगी। इनमें से राकेश सचान, जसवंत सैनी, दानिश आजाद अंसारी, रामकेश निषाद और अनूप प्रधान शामिल हैं।
राकेश सचान व जसवंत सैनी
कांग्रेस छोड़कर बीजेपीका हाथ पकड़ने वाले पूर्व सांसद राकेश सचान ने बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े थे। भोगनीपुर सीट पर कमल खिलाने वाले राकेश सचान को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया है। राकेश सचान समाजवादी पार्टी से सांसद भी रह चुके।
उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी को बीजेपी हाईकमान ने योगी मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री बनाया है। बीजेपी नेतृत्व ने जसवंत सैनी योगी मंत्रिमंडल में शामिल कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के परंपरागत वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। संगठन के प्रति समर्पण और निष्ठा भी जसवंत सैनी का सियासी कद बढ़ाने में कारगर साबित हुई। वह पिछले 32 साल से आरएसएस और बीजेपी में सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
दानिश आजाद अंसारी ,रामकेश निषाद व अनूप प्रधान
उत्तर प्रदेश की नवगठित भारतीय जनता पार्टी सरकार में दानिश आजाद अंसारी को एकमात्र मुस्लिम मंत्री के तौर पर शामिल किए गया बता दें, इस बार मोहसिन रजा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई हैं। पिछले कार्यकाल में भी योगी सरकार में वह इकलौते मुस्लिम मंत्री बने थ। 32 साल की उम्र में मंत्री बने वो योगी सरकार कैबिनेट का युवा चेहरा है।
वहीं विधायक रामकेश निषाद को योगी सरकार 2.0 की सरकार में राज्यमंत्री बनाया है। तिदवारी विधानसभा सीट हमीरपुर-महोबा लोक सभा के साथ आती है। नवनिर्वाचित विधायक रामकेश निषाद ने 86812 मत हासिल किए और जिले में सबसे ज्यादा 28425 वोटों से ताज पहना।
अनूप प्रधान ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली है। विधायक अनूप प्रधान अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से दूसरी बार जीते हैं। उत्तर प्रदेश की पिछली सरकार में वाल्मीकि समाज से कोई मंत्री नहीं था। वाल्मीकि समाज के वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी ने दांव चला है। अनूप प्रधान वाल्मीकि के मंत्री बनने को लेकर वाल्मीकि समाज ने भी मांग की थी। जिसको देखते हुए हाई कमान ने यह निर्णय लिया।