इंटरनेशनल डेस्क- जंग के बीच अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों यानि “NATO” को ललकार दिया है। उन्होंने कहा है कि, यूक्रेन पर अटैक करना जरूरी हो गया था क्योंकि, उसने डोनबास से लोगों का जिना हराम कर रखा था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, 13-14हजार लोग मार दिए गए और पश्चिम चुप रहा, डोनबास निवासी आवारा कुत्ते नहीं। आगे बढ़ने से पहले बता दें कि यूक्रेन को पश्चिमी देश दुनिया के सामने मासूम बनाकर पेश कर रहे हैं। लेकिन, असल में यूक्रेन ऐसा है नहीं आज जो रूस कर रहा है वह मजबूरी में आ कर, कर रहा है। क्योंकि, यूक्रेन लगातार डोनबास के लोगों की जान ले रहा था।
खबरों की माने तो पुतिन ने यूक्रेन पर रूसी सेना के आक्रमण को एक कठिन फैसला बताया है। उन्होंने कहा है कि यूक्रेन के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन चलाना आसान फैसला नहीं था। उन्होंने कहा कि हाल-फिलहाल में एक के बाद एक ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिनके चलते यह हमला जरूरी हो गया था। उन्होंने कहा कि, मैंने ऑपरेशन की शुरुआत में यह कहा था और मैं इस निर्णय से पहले भी इसके बारे में बात कर रहा था। बिना संदेह यह एक कठिन फैसला था।
इसके आगे उन्होंने समझाया कि, यूक्रेन में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी। उन्होंने 2014के ‘असंवैधानिक तख्तापलट’ का भी जिक्र किया जिसे के पश्चिमी देशों से सक्रिय रूप से समर्थन मिला था। पुतिन ने आरोप लगाया कि पश्चिम ने इसका खंडन भी नहीं किया और खुले तौर पर कहा था कि उन्होंने ‘असंवैधानिक तख्तापलट’ को प्रभावित करने के लिए 5बिलियन डॉलर खर्च किए। उन्होंने दावा किया है कि, यूक्रेन के कुछ हिस्सों ने सत्ता परिवर्तन को खारिज कर दिया।
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दक्षिणपूर्वी डोनेट्स्क और लुहान्स्क इलाके में इसका विरोध करने वालों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था। पुतिन ने कहा, इन वर्षों में 13,000 से 14,000 लोग मारे गए हैं। 500 से अधिक बच्चे मारे गए या अपंग हो गए। जो सबसे ज्यादा असहनीय है, वह यह है कि तथाकथित ‘सभ्य’ पश्चिम ने उन आठ वर्षों के दौरान इसे नोटिस भी नहीं किया।