मध्यप्रदेश में तीसरे लिंग या ट्रांसजेंडर समुदाय पर एड्स का खतरा बढ़ता प्रतीत हो रहा है। जानकारों का कहना है कि सुरक्षा रहित अप्राकृतिक यौन संबंधों में इजाफा और एड्स के खिलाफ जागरूकता का अभाव इसकी बड़ी वजहों में शुमार हैं।
राज्य एड्स नियंत्रण समिति के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अक्तूबर तक 16 ट्रांसजेंडरों में एड्स की पुष्टि हुई, जबकि वर्ष 2016 के दौरान इस समुदाय में एड्स के आठ मरीज मिले थे।
इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में एड्स काउंसलर कल्पना बेंडवाल ने को बताया, “हमारे पास सलाह के लिये आने वाले लोगों में किन्नरों की तादाद बेहद कम है। इस समुदाय में एड्स को लेकर जागरूकता बढ़ाये जाने की सख्त जरूरत है।” उन्होंने कहा कि देह व्यापार में शामिल किन्नर एक ही दिन में अलग-अलग पुरुषों के साथ कई बार यौन संबंध बनाते हैं। इस वजह से उनमें एड्स का खतरा और बढ़ जाता है।
उज्जैन के किन्नर अखाड़े के संरक्षक ऋषि अजय दास ने कहा, “सामाजिक विकृतियों के चलते पुरुषों और किन्नरों के बीच अप्राकृतिक यौन संबंधों के रुझान में तेजी आयी है।” अजय दास ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह प्रदेश के किन्नर समुदाय में एड्स को लेकर बड़ा जागरूकता अभियान चलाये। इसके साथ ही, एड्स संक्रमण के शिकार किन्नरों के इलाज के लिये विशेष इंतजाम करे।
राज्य एड्स नियंत्रण समिति के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2005 से लेकर अक्तूबर 2017 तक एचआईवी संक्रमित कुल 53,899 मरीज मिले। इनमें 32,902 पुरुष, 20,835 महिलाएं (तत्कालीन गर्भवतियों समेत) और 162 ट्रांसजेंडर शामिल हैं।