एक तरफ जहा देश में कुछ एसे लोगो की गिनती है जिनको खाने के लिए दो समय की रोटी तक नसीब नही होती और उन्हें भूखे पेट ही सोना पड़ता है वही दूसरी और देश में सरकार दुवारा खरीद कर रखी गई गेहू की सही सम्भाल न होने के कारन यह गेहू खुले आसमान के नीचे पड़ा ही गल और सड रहा है जिसको की अब जानवर भी शयद न देखे सोचने वाली बात तो यह है की इस बात का अधिकारियो को भी पता होने के बावजूद भी किसी भी जुमेदार अधिकारी के विरुद्ध कोई ठोस कारवाई नही होती
यह जो आप तस्वीरो में करोड़ो की लागत की पड़ी खुले आसमान के नीचे गेहू देख रहे है यह है जिला मोगा के साथ लगते गाव कोट इसेखान के कोट सदर में बने पंजाब एग्रो के प्ल्न्थ की जहा 2014-2015 के सीजन में इस गेहू को खरीद कर स्टाक किया गया था और अब गेहू की हालत एसी हो गई है की जिसको जानवर तक खाने को तयार नही है और यह सब खारा हुआ है अधिकारियों की लापरवाही के चलते है जिसकी करोड़ो रूपये की कीमत बनती है इस प्ल्न्थ में करीब 42 हजार क्विंटल गेहू पड़ी थी जिसकी कीमत उस समय करीब छे करोड़ की बनती थी उस समय सरकार ने इस गेहू को किसानो से 1400 रूपये कविन्टल के हिसाब से खरीदा था जो आज मिटटी बन चुकी वही यह कोई पहली बार नही हुआ जब इतनी गेहू खराब हुयी हो इससे पहले भी कई मामले इस तरह के सामने आ चुके है
वही इस बारे में जब जिला डिप्टी कमिश्नर मोगा दिलराज सिंह से बात की तो उन्हेंने माना यह गेहू साल 2014-2015 में खरीदी गई थी उस समय ऍफ़ सी आई की लिफ्टिंग कम होने के कारन यह स्टाक वही पड़ा रहा और ज्यदा टाइम पड़ा रहने के कारन यह गेहू खराब हो गया है अब इसकी रेग्रिडिंग कर के बाकि के माल को केटल फीड बनाने के लिए टेंडरो दुवारा बेचा जायेगा मेने डी एम् पंजाब एग्रो को निर्देश दिए है और जानकारी मांगी है और जो भी अधिकारी दोषी पाया गया उस पर क़ानूनी करवाई की जाएगी
वही पल्न्थ इंचार्ज मोती राम ने कहा की जब यह गेहू खरीदा गया था उस समय भी काफी गीला था कयोकी बारिश चल रही थी और इसको बाहर ही त्रपालो के नीचे रखना पड़ा मुझे यह नही मालूम की कितना उस समय यहा स्टोक था लेकिन अब एक लाख बोरी से उपर यहा माल पड़ा है यह गेहू २०१४ -२०१५ के सीजन में खरीदा गया था जो भी यहा स्टाक पड़ा है यह सब खराब हो चूका है गेहू के खराब होने का मुख्य कारन बाहर बारिश के नीचे पड़ी रहना है और अब यह सारा माल खराब हो चूका है