Sunday , 24 November 2024

हरियाणा में स्कूल अध्यापकों के खाली पदों पर जवाब दाखिल करने में सरकार तीसरी बार भी नाकाम रही

चंडीगढ,6नवम्बर। शिक्षा के क्षेत्र में हरियाणा सरकार के प्रयास अब तक आधे-अधूरे ही बने हुए है। हाल यह है कि कैथल जिले के एक स्कूल में जरूरी निर्माण करवाने के लिए बच्चों को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करनी पडी। हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने निर्माण कार्यों के लिए 20 लाख रूपए जारी कर दिए लेकिन स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पद भरने के मुद््दे पर जवाब दाखिल करने के लिए तीसरी बार समय मांग लिया। यानि कि सरकार जवाब दाखिल करने की स्थिति में नहीं है।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सोमवार को सरकारी स्कूल में बच्चों की सुरक्षा व अध्यापकों रिक्त पद भरने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि स्कूल में कमरों व शौचालय के निर्माण के लिए 20 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गयी है । इस पर भी बच्चों के वकील प्रदीप रापडिया ने बहस के दौरान कोर्ट को बताया कि राशि सिर्फ जारी की जाती है असलियत में खर्च नहीं होती । इस पर हाई कोर्ट ने उपायुक्त कैथल व जिला शिक्षा अधिकारी को सख्त हिदायत दी कि वो व्यक्तिगत तौर पर स्कूल में निर्माण कार्य का अवलोकन व निगरानी करेंगे व कोर्ट में रिपोर्ट पेश करेंगे ।
हरियाणा के सभी सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पदों के बारे में हलफनामा दायर करने के लिए हरियाणा सरकार ने तीसरी बार और अधिक समय माँगा ।  वकील प्रदीप रापडिया ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा जवाब दायर करने के लिए बार-बार समय माँगना  बच्चों की शिक्षा के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता को दर्शाता है और इस प्रकार मामले को लटकाकर याचिका के उदेश्य को खत्म करने की नीति पर काम किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि यदि स्कूल में पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं हैं तो निर्माण कार्य के लिए जारी की गयी राशि भी कोई मायने नहीं रखती । हाईकोर्ट ने इस पर हरियाणा सरकार को  4 दिसम्बर तक जवाब दायर करने की हिदायत दी।
स्कूल के 45 से अधिक बच्चों ने अपने हाथ से पत्र लिखकर मौलिक शिक्षा निदेशक व जिला शिक्षा अधिकारी को भेजा था। उन्होंने लिखा था कि स्कूल की टूटी हुई इमारत से पत्थर के टुकड़े गिरते हैं और उन्होंने जब से दाखिला लिया है उनको विज्ञान का अध्यापक नहीं मिला और ना ही स्कूल में पीने के पानी व शौचालय की  व्यवस्था है। लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा  मांगों की अनदेखी करने पर स्कूल के 7 बच्चों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था । एक याचिका पेशकरं कहा गया कि बिना अध्यापकों व बिना सुरक्षित इमारत के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार बेमानी है।  सुप्रीम कोर्ट ने कई फैंसलों में साफ किया है कि बिना सुरक्षित  माहौल व  अध्यापकों के अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार बेमानी है।
हाईकोर्ट के जज राकेश जैन ने पिछले 11 अक्टूबर को हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए सरकारी स्कूलों की स्थिति पर चिंता प्रकट की थी और मुख्य सचिव को हिदायत दी थी कि वो 23 अक्टूबर को हलफनामा दायर करके कोर्ट को बताये कि पूरे हरियाणा के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के कितने पद खाली हैं और  कितने स्कूलों में पीने के पानी व शौचालय की  व्यवस्था है?  हरियाणा सरकार ने 23 अक्टूबर को जवाब दायर करने में विफल रही और मामला 30 जनवरी, 2018 तक टल गया  । आधे से ज्यादा सत्र बीत जाने पर भी अध्यापकों के उपलब्ध ना होने व असुरक्षित स्कूली इमारत की स्थिति को ध्यान में रखते हुए कैथल के बालू स्कूल के छात्रों के वकील प्रदीप रापडिया ने हाई कोर्ट से मामले की जल्दी सुनवाई की गुहार लगाई थी।  हाईकोर्ट ने  याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई 6 नवम्बर को तय की थी। साथ ही हरियाणा सरकार को इस तिथि तक जवाब दायर करने की हिदायत दी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *