Sunday , 24 November 2024

हाईकोर्ट में गुरमीत और साध्वियों की याचिकाएं सुनवाई के लिए मंजूर

चंडीगढ,9अक्टूबर। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को साध्वी बलात्कार प्रकरण में सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई बीस साल कारावास सजा के मामले में दोनों पक्षों की अपील याचिकाएं सुनवाई के लिए मंजूर कर लीं। गुरमीत राम रहीम ने सजा को चुनौती दी है तो साध्वियों ने गुरमीत राम रहीम की सजा उम्र कैद में बदलने की मांग की है। साध्वियों की अपील पर सीबीआई  को नाटिस जारी किया गया है।
साध्वियों के वकील नवकिरण सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट ने दोनों साध्वियों की अपील पर गौर करते हुए सवाल किया था कि सीबीआई कोर्ट ने पर्याप्त सजा सुनाई है। अब इस अपील की जरूरत क्यों पडी। उन्होंने कहा कि इस पर उनकी ओर से दलील दी गई कि गुरमीत राम रहीम का अपराध असाधारण किस्म का है। उसने पिता कहने वाली साध्वियों के साथ बलात्कार किया। साध्वियां शारीरिक व मानसिक रूप से गुरमीत के नियंत्रण में थी। ऐसी स्थिति में किए गए बलात्कार के अपराध के लिए अधिकतम सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि इस तरह घिनौने अपराध करने वाले लोगों की वजह से ही बलात्कार सम्बन्धी कानून में बदलाव किया गया। नवकिरण सिंह ने यह भी कहा कि यह अपील सजा में जुर्माना बढाने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ सजा ही अधिकतम उम्र कैद में बदलने के लिए है। साध्वियों ने कहा है कि उन्हें पैसा नहीं चाहिए पर वे गुरमीत राम रहीम को कडी सजा दिलाना चाहती है। उन्होंने कहा कि साध्वियों की अपील सुनवाई के लिए मंजूर कर ली गई है। अब इसकी सुनवाई सजा के खिलाफ गुरमीत राम रहीम की याचिका के साथ ही की जायेगी।

गुरमीत ने दी है सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई सजा को चुनौती

 

उधर गुरमीत राम रहीम के वकील एसके गर्ग नरवाना ने बताया कि साध्वी बलात्कार मामलों में गुरमीत राम रहीम को सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ याचिका हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर ली है। उन्होंने कहा कि सजा के खिलाफ याचिका  सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सजा के तहत सुनाए गए तीस लाख रूपए जुर्माने की राशि सीबीआई कोर्ट के नाम बैंक में फिक्सड डिपाॅजिट के बतौर जमा करवा दें। उन्होंने बताया कि यदि सजा के खिलाफ अपील पर फैसला गुरमीत राम रहीम के पक्ष में आता है तो फिक्सड डिपाॅजिट की राशि ब्याज समेत उन्हें मिल जायेगी।
जस्टिस सूर्यकांत और सुधीर मित्तल की खण्डपीठ के समक्ष गुरमीत राम रहीम के वकील एसके गर्ग नरवाना ने दलील दी कि सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत की यौन सम्बन्ध बनाने में अक्षमता की दलील को अस्वीकार कर दिया। सीबीआई अदालत ने इसे सारहीन बतया क्योंकि उनकी दो बेटियां मौजूद थीं। लेकिन बेटियों की उम्र पर गौर नहीं किया गया। गुरमीत ने दलील दी थी कि वो सन् 1990 से यौन सम्बन्ध बनाने की क्षमता खो चुके है। इसलिए ट्ायल कोर्ट ने उनका मेडिकल भी नहीं करवाया। गुरमीत के वकील ने पीडित साध्वियों के बयान भी घटना के छह साल बाद दर्ज किए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *