किसी ने ठीक ही कहा है कि… कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं और हारा वही जो लड़ा नहीं… और इस कहावत को सच कर दिखाया है मेवात के नाजिम आजाद व कुसुम मलिक ने। जिन्होंने शिक्षा के लिए ‘शिक्षा दूत मोहल्ला पाठशाला’ नाम से एक नई शुरूआत की। इस योजना का मुख्य मकसद कोविड 19 के चलते शिक्षा में आ रहे गैप को भरना है। जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह जाखड़ ने बीवां गांव में शिक्षा दूत कार्यक्रम की शुरुआत की ,साथ ही उन्होंने शिक्षा दूतों व ग्रामीणों को के काम को भी सराहा। उन्होंने कहा कि मेवात के हर पढ़े – लिखे युवा को शिक्षा दूत बनकर आगे आना चाहिए और अपने गली मोहल्ले में स्कूली बच्चों को शिक्षित करना चाहिए। बता दें कि शिक्षा दूत में 30 लोगों की टीम मिलकर काम कर रही है। जिनके काम को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी काफी संतुष्ट दिखे।
जन संगठन मेवात कारवां के अध्यक्ष डॉ अशफाक आलम ने इस योजना के बारे में कई जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि इस योजना को लगभग 50 गांवों में शुरू किया जाना है। तो वहीं नाजिम नाम के एक अध्यापक ने इस योजना को शिक्षा के लिए संजीवनी बता ही बता दिया। उन्होंने कहा कि से क्रांति प्रदेश में उम्मीद की एक रोशनी ले कर आएगी और इतिहास रचेगी।
कोरोना के कारण देश भर में जहां स्कूल बंद हैं। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी अनूप सिंह और उनकी टीम मेवात के बच्चों को शिक्षित करने की योजना बना रहे हैं। जो कि काफी सराहनीय काम है। क्योंकि शिक्षा तो हर एक बच्चे का मौलिक अधिकार है और हर हाल में समाज के अंतिम बच्चे तक शिक्षा पहुंचनी ही चाहिए।