हिसार, 7 मई(अमित शर्मा): गीतांजलि अस्पताल के डा. कमल किशोर ने कहा कि अस्थमा एक क्रोनिक दीर्घावधि बीमारी है, जिससे श्वास मार्ग में सूजन और शवास मार्ग की सर्कीणता समस्या होती है जो समय के साथ कम ज्यादा होती रहती है। उन्होंने बताया कि अस्थमा के वायु प्रदूषण, धुम्रपान, बचपन में सही उपचार न होना, मौसम में बदलाव होना, खेतों में जलाने वाली परानी तथा किसी भी प्रकार के धुएं के कारण यह बीमारी होती है। यह बीमारी पारिवारिक स्तर पर जैनैटिक तौर से पाई जाती है। चिकित्सा सलाह के दौरान इसका सभी ढंग से ईलाज करवाना चाहिए और दवाईयों का इस्तेमाल करना चाहिए। इनहलेशन थेरेपी लक्षणों से राहत देकर दमा को नियंत्रित करता है किन्तु उनका असर तभी होगा जब मरीज अपने डॉक्टर के साथ सहयोग करे और बतायी गई विधि के अनुसार उपचार का प्रयोग करे।
उन्होंने बताया कि अस्थमा किसी भी उम्र को प्रभावित कर सकता है। इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है कि मरीज भ्रांतियों से बाहर आकर इन्हेलेशन थेरेपी के महत्व को समझें और उसका पालन करें। अस्थमा पर जीत हासिल करने के लिए एक प्रभावी उपचार यानी इन्हेलेशन जरूरी है क्योकि इससे दवाई सीधे फेफडों में जाती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को चुल्हे से दूर पर कम से काम करना चाहिए तथा शहरों में लोग पर्यावरणप्रदूषण से अपना बचाव करे। इसी दौरान अस्थमा दिवस पर गीतांजलि अस्पताल में जनजागरुता अभियान चलाया गया जिसमें अस्थमा से पीडित मरीजों की जांच की गई।